दमोह, गणेश अग्रवाल
जिले के आदिवासी अंचल से बैल के स्थान पर आदिवासी लोगों द्वारा स्वयं ही हाल जुतकर जमीन को जोतने की तस्वीर सामने आई है। यह आदिवासी लोग सालों से पट्टों का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन उनका इंतजार अभी भी पूरा नहीं हुआ है. ऐसे में शासन से मदद की उम्मीद लगाए बैठे यह लोग स्वयं ही एक दूसरे की मदद से हल में जुतकर खेती कर रहे हैं।
दरअसल, दमोह जिले के बटियागढ़ विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत शहजाद पुरा के ग्राम हिम्मतपुरा में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग दूल्हा देव, जमुनिया, घोड़ाखुरी इलाके की जमीन को कई वर्षों से जोत करके खेती कर रहे हैं। इन लोगों को अभी भी पट्टों का इंतजार है। लेकिन जो मार्मिक तस्वीर आई है उसमें यह आदिवासी समुदाय के लोग बिना किसी संसाधन के एक दूसरे के हल में जुतकर खेती कर रहे हैं, क्योंकि इन लोगों के पास हल में जोतने के लिए बैल नहीं है। यही कारण है कि यह लोग इस भूमि को जोतने के लिए एक दूसरे के हल में बैल के स्थान पर जुत करके सहयोग कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि इन लोगों को शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिला है। यही कारण है कि वे लोग पट्टे के लिए आज भी इंतजार कर रहे हैं और अपना जीवन यापन करने के लिए वे शासकीय जमीन पर वर्षो से इसी तरह खेती करके अपना घर चला रहे हैं।