अवैध शराब के ठिकानों पर पुलिस-प्रशासन की सयुंक्त छापामार कार्रवाई

Gaurav Sharma
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दतिया,सत्येन्द्र सिंह रावत। मध्य प्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 की विभिन्न धाराओं के अन्तर्गत अवैध मदिरा धारण, परिवहन एवं विक्रय के विरूद्ध आबकारी विभाग जिला दतिया द्वारा  मंगलवार को अवैध मदिरा अड्डों पर छापेमार कार्रवाई की गई। कलेक्टर संजय कुमार के निर्देशन में एवं पुलिस अधीक्षक अमन राठौड़ के सहयोग से तथा निधि जैन, जिला आबकारी अधिकारी दतिया के नेतृत्व में आबकारी वृत्त भाण्डेर में स्थित पण्डोखर कंजर डेरा में आबकारी एवं पुलिस विभाग के द्वारा संयुक्त रूप से दबिश दी गई।

दबिश के दौरान मौके से 11,700 कि.ग्रा. गुड़ लाहन एवं 690 लीटर हाथ भट्टी शराब, अवैध मदिरा बनाने एवं संग्रहित किये जाने का सामान एवं 02 मोटरसायकिल जब्त की गई । जिसमें आबकारी अधिनियम की धारा 34(1) के तहत 04 प्रकरण एवं आबकारी अधिनियम की धारा 34(2) के तहत 04 प्रकरण इस प्रकार कुल 08 प्रकरण कायम किये गये।

प्रशासन एवं पुलिस बल को देखकर अड्डे से आरोपी फरार हो गए। उक्त प्रकरणों में कुल जब्त शराब, अवैध मदिरा बनाने एवं संग्रहित किये जाने का सामान एवं वाहनों की कुल अनुमानित कीमत 8,14,000  रूपये है।

उक्त कार्रवाई में जिला आबकारी अधिकारी निधि जैन , एसडीओपी मोहित कुमार यादव , सहायक जिला आबकारी अधिकारी के एल भगोरा़ एवं आबकारी उपनिरीक्षक टीआर वर्मा , आबकारी मुख्य आरक्षक शारदा प्रसाद तिवारी एवं आबकारी आरक्षक संजय शर्मा, प्रताप सिंह जाटव, रवि विसारिया, विकास की महत्वपूर्ण भूमिका रही।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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