सेवढा, राहुल ठाकुर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के दतिया (Datia) जिले में पीडब्ल्यूडी विभाग (PWD Department) द्वारा वर्ष 1960 में सड़क डालने के लिए जमीन अधिकृत की गई थी, जिसका मुआवजा 60 वर्षों में भी किसानों(Farmers) को नहीं मिल सका। लगातार मुआवजे की मांग कर रहे किसानों में आक्रोश व्याप्त है। इसके लिए किसानो हड़ताल (Strike) का रास्ता अपनाया जिसका अल्टीमेटम प्रशासन को दिया गया उसके बाद वह पिछले 11 फरवरी से लगातार भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
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शासन प्रशासन (Government administration) को अपनी मांगों से कृषको ने कई बार अवगत अवगत कराया लेकिन उनकी मांग को स्थानीय अधिकारियों ने कोई तबज्जो नही और न ही उनकी लगता है फिक्र है साथ ही पुलिस (Police) प्रशासन द्वारा किसानों पर एफ आई आर भी दर्ज करा दी गई।
14 दिन से भूख हड़ताल जारी
किसानों ने दतिया कलेक्टर (Datia Collector) संजय कुमार को पूर्व में ज्ञापन सौंपकर अवगत कराया था कि सेवड़ा तहसील अंर्तगत ग्राम मंगरोल में सेवढा से ग्वालियर (Gwalior) मुख्य मार्ग का चौड़ीकरण किया जा रहा है कृषको ने ज्ञापन में उल्लेख करते हुए बताया कि एक दर्जन से अधिक कृषको की खेती की जमीन को पीडब्ल्यूडी (PWD) द्वारा वर्ष 1960 में अधिकृत कर लिया गया था जिसका आज दिनांक तक मुआवजा नहीं मिल सका उक्त मांग के लिए18 लोग क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
थाना डीपार पुलिस द्वारा 14 लोगों पर धारा 107 और 116 की कार्रवाई भी कर दी है जिनमें से कुछ लोगों ने अपनी जमानत भी करा ली है लेकिन फिर भी किसान भूख हड़ताल पर बैठे है। वंही कुछ दिन पूर्व तहसीलदार पहुचे थे आंदोलनकारियों के पास लेकिन उनके द्वारा बर्तालाप का कोई असर आन्दोलन कारियो पर नही हुआ।
क्या है मामला
वर्ष 1960 में किसानों के खेतों के बीच से जब पूर्व में सड़क निर्माण किया गया था तब सड़क महज 7 फीट की थी उसके बाद वर्ष 2010 में सड़क का चौड़ीकरण पुनः किया गया तो सड़क को 7 फीट से बढ़ाकर 18 फीट कर दिया गया था तब भी मुआवजा नहीं मिला और अब वर्तमान में इसी सड़क को 26 फीट चौड़ा किया जा रहा है जिससे किसानों में आक्रोश व्याप्त है अगर यही क्रम चला तो हम एक दिन भूमिहीन हो जाएंगे।
इनका कहना है कि
हम 14 दिन से प्रशासन से मांग करते हैं कि हमारा मुआवजा दिया जाए नहीं तो हम निश्चिंत अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करेंगे अगर कुछ होता है तो इसका जिम्मेदार स्वयं प्रशासन होगा।
अवधेश त्यागी, आंदोलनकारी, कृषक
तहसीलदार ने आश्वासन दिया है कि आप लोगों के जमीन के कागजों की जांच की जा रही है अगर दायरे में आ सकेंगे तो हम मुआवजा दिलाने की पूरी कोशिश करेंगे।
आशाराम त्यागी, कृषक
भू अर्जन का मामला वैसे तो कलेक्टर साहब का होता है यह लोग अपना रिकॉर्ड उपलब्ध कराते हैं तो इन लोगों को मुआवजा मिल सकता है
नरेंद्र यादव, नायब तहसीलदार, मंगरोल व्रत