शव मिलने से फैली सनसनी, जेब में मिली सल्फास की गोली, पुलिस कर रही जांच

Gaurav Sharma
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शिवपुरी, शिवम पाण्डेय। शिवपुरी के खनियाधाना से 15 किलोमीटर दूर बादली गांव में पनरियानाथ के मंदिर पर घने जंगल में नाले के पास एक युवक की लाश मिलने से सनसनी फैल गई। मृतक के पास सल्फास की गोलियां और शराब की बोतल भी बरामद हुई है। फिलहाल पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

बदली गाँव के समीप घने जंगल में बने पनरियानाथ मंदिर पर दोपहर पुलिस को सूचना मिली कि झरने से आ रहे नाले के पास झाड़ियों में एक व्यक्ति का शव पड़ा है। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव की पहचान कराने में जुट गई।

शव के पास में सल्फास की गोलियां और शराब की बोतल भी मिली है। मृतक की शरीर को प्रथम नजर में देखने पर शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं मिला है। युवक ने आत्महत्या की है या फिर उसकी मौत की वजह कुछ और है, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है।

एएसआई प्रताप सिंह गुर्जर ने बताया कि पनरियानाथ मंदिर के पास बने नाले के समीप अज्ञात मोटरसाइकिल रखी थी और वहीं ये शव पड़ा था जो कि अभी तक अज्ञात है। मोटरसाइकिल पर शराब का क्वार्टर टंगा मिला है। पास में पानी की बोतल भी रखी मिली है। साथ ही सल्फास की 6 गोलियां मिली हैं और जेब में सिगरेट की डिब्बी मिली है।

बताया जा रहा है कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत के कारणों का पता चलेगा। पूरे मामले को लेकर मायापुर टीआई राकेश शर्मा का कहना है कि कोई अज्ञात लाश मिली है, जिसे पीएम के लिए भेज दिया गया है। वहीं मामले के दर्ज कर विवेचना में लिया गया है।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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