परेशान श्रमिकों ने किया चक्काजाम, आत्मदाह और चुनाव बहिष्कार की दी चेतावनी

Gaurav Sharma
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देवास, शकील खान। कई वर्षों से बंद पड़ी देवास की चामुंडा स्टैंडर्ड मिल के श्रमिक अपनी मांगों को लेकर पूरे परिवार के साथ कलेक्टर कार्यालय ज्ञापन देने पहुँचे। जब कलेक्टर उनसे मिलने नहीं पहुँचे तो नाराज श्रमिकों व उनके परिवार की महिलाओं ने कलेक्टर कार्यालय के निकट सयाजी द्वार के पास एबी रोड़ पर चक्काजाम कर दिया। करीब आधे घण्टे तक श्रमिक अपने परिवार के साथ यहां जमे रहें। अधिकारियों की समझाइश के बाद वह सड़क से हटे तब जाकर AB रोड़ पर यातायात बहाल हुआ। साथ ही ज्ञापन देने आए श्रमिकों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर प्रशासन द्वारा अब भी हमारी समस्या हल नहीं की जाती हैं तो हम आगामी चुनाव का बहिष्कार करेंगे साथ ही हमें आत्मदाह के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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दरअसल, देवास की चामुंडा स्टैंडर्ड मिल पिछले आठ – दस सालों से बंद पड़ी हैं। जिसके चलते मील में काम करने वाले सभी श्रमिक बेरोजगार हो गए और उनकी ग्रेज्युटि व अन्य फंड भी अटके हुए हैं। कंपनी प्रबंधन ने श्रमिकों को आश्वासन दिया था कि मील की मशीनें व जमीन का सौदा होने पर सभी श्रमिकों को उनके रुपए दे दिए जाएंगे। लेकिन कंपनी मालिक ने धीरे- धीरे सभी मशीनें बेच दी और जिसके बाद अब भूमि भी बेच दी गई हैं, जिस पर कॉलोनी का निर्माण किया जा रहा हैं।

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श्रमिक और उनके परिवारों का आरोप था कि कंपनी प्रबंधन द्वारा अब भी हमारा हिसाब नहीं किया जा रहा हैं। सरकार द्वारा तय किए गए नियमानुसार जो हमारी ग्रेज्युटि व फंड बनता हैं उसका एक मुश्त रुपए हमें दिए जाए। इस संबंध में हम अधिकारियों को कई बार शिकायत कर चुके हैं, बावजूद इसके कोई भी हमारी समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा हैं। श्रमिकों ने कहा कि इसलिए मजबूरन हमें सड़क पर उतरकर चक्काजाम करना पड़ा।

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ज्ञापन देने आए श्रमिक केशर सिंह गुर्जर ने तो यहां तक कह दिया कि अगर आगे भी हमारी समस्या का निराकरण नहीं होता हैं तो हमें मजबूरन आत्मदाह करना पड़ेगा…हम मर तो वैसे ही गए हैं… भूखे मर रहें हैं और बेइज्जती सहन कर रहें हैं। साथ ही उन्होंने कहां कि हम सब आगामी चुनाव का बहिष्कार भी करेंगे।

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श्रमिकों के परिवार से आई महिलाओं ने कहा कि कंपनी बंद होने के बाद हमने मजदूरी और लोगों के घरों में काम करके अपने परिवार को पाला हैं। आज हमारे बच्चें ठीक से पड़ नहीं पाएं। उनका भविष्य बिगड़ गया। हमारी प्रशासन से मांग हैं कि कंपनी मालिक से हमारा पूरा रुपया दिलाया जाए।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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