देवास, डेस्क रिपोर्ट। देवास (Dewas) की बांस से बनी ब्लेड डेनमार्क (Denmark) में अपना कमाल दिखाने वाली है। यहां तैयार की गई बांस की ब्लेड से डेनमार्क में पवन ऊर्जा (Wind Energy) का निर्माण किया जाएगा। खास बात तो यह है कि यह पंखुड़ियां 40 साल तक मजबूत बनी रहेंगी। इसी के साथ इन्हें बनाने की लागत भी बहुत कम है।
डेनमार्क ने बांस से बनी इन पंखुड़ियों के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी देवास की आर्टिशन कंपनी की टीम को रिसर्च के दौरान दी गई है। डेनमार्क की कंपनी ने देवास की इस कंपनी के साथ 100 पंखुड़ियां लेने का करार भी कर लिया है। जल्द ही पंखुड़ियां तैयार कर डेनमार्क सप्लाई की जाएंगी।
आर्टीशन दुनिया की पहली ऐसी कंपनी है जो टेक्नोलॉजी से जुड़ी चीज में बांस का इस्तेमाल कर रही है। यह कंपनी घर बनाने से लेकर फर्नीचर बनाने तक हर काम में बांस का इस्तेमाल करती है। यहां बने कई उत्पाद विदेशों तक भेजे जा रहे हैं। कंपनी कई महीनों से कटंगा बांस पर रिसर्च कर रही थी और डेनमार्क में उन्हें सफलता हासिल हुई और कंपनी की ओर से मंजूरी भी मिल गई। अब कंपनी इन पंखुड़ियों को तैयार करने में जुट गई है।
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इस शानदार प्रयोग से ना सिर्फ पूरे मध्यप्रदेश का नाम रोशन होगा बल्कि इससे एक और फायदा होने वाला है। ये काम लगभग 2000 महिलाओं को रोजगार भी देगा और महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह अनुकरणीय पहल होगी। कंपनी के सीईओ देवोपम मुखर्जी ने बताया है कि वह 50 एकड़ जमीन पर एक फैक्ट्री का निर्माण करवाएंगे और अब तक 1000 एकड़ भूमि में वह जंबू बांस रोप चुके हैं।
पवन ऊर्जा का निर्माण करने में पवन चक्की पर फाइबर की जो ब्लेड लगाई जाती है वह लगभग डेढ़ सौ टन की होती है। लेकिन बांस से बनी ब्लेड का वजन उसके मुकाबले लगभग 25% कम होगा। एक पवन चक्की में तीन ब्लेड लगाई जाती हैं जिनकी कीमत 3 करोड़ पड़ती है, लेकिन बांस से बनी यह ब्लड 15% कम कीमत में तैयार की जाएगी। देश में भी पवन चक्की विदेशों से तैयार होकर आती है, लेकिन अब बांस की ब्लेड का प्रयोग देवास में हो रहा है। ये प्रयोग आगे चलकर देश के लिए लाभदायक साबित होगा।