MP Election 2023: साहब, 25 साल से आपकी बात सुन रहा हूं, मेरे पिताजी दिग्विजय सिंह के दाएं हाथ थे। मैं आपसे जुड़ा, आपको धार लाया, तब से दिग्विजय सिंह ने हमारे ऊपर तलवार निकाल ली। आपके साथ रहने का 25 साल से नुकसान उठा रहा हूं मैं। आपने कहा जिला कांग्रेस अध्यक्ष बना दूंगा, नहीं बनाया। इसके पहले नगर पालिका अध्यक्ष पर मेरा दावा था, दिग्विजय सिंह ने गौतम से समझौता करवाकर पर्वतसिंह चौहान को अध्यक्ष बनवा दिया। 6 महीने पहले आपने मुझसे कहा था कि तुमको धार से और बालमुकुन्द को बदनावर से चुनाव लडऩा है, मैंने तैयारी शुरू कर दी, अब आपने टिकट बालमुकुंद की पत्नी को दे दिया। तीन चुनाव यह परिवार हारा है और आपने फिर इनको ही टिकट दे दिया। अब आप ही बताओ मुझे मिला क्या।
कुछ ऐसा संवाद सोमवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और कांग्रेस से बगावत कर धार से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे कुलदीप सिंह बुंदेला के बीच हुआ। कमलनाथ समझाते रहे, पर कुलदीप मानने के लिए तैयार नहीं हुए और संवाद के अंत में बोले अब तो मैं चुनाव लड़ूंगा साहब।
25 साल से चली आ रही बुंदेला और गौतम परिवार की दुश्मनी
धार की राजनीति में बुंदेला और गौतम परिवार की अदावत 25 साल पुरानी है। एक जमाने में बालमुकुंद गौतम, मोहनसिंह बुंदेला के अनन्य सहयोगी थे। बुंदेला की उंगली पकड़कर ही वे राजनीति में सक्रिय हुए। बाद में दोनों के रास्ते अलग-अलग हो गए और 1998 के बाद गौतम ने अपना एक अलग गुट खड़ा कर लिया। 2008 में उन्हें पहली बार कांग्रेस का टिकट मिला और वे नीना वर्मा से 1 वोट से चुनाव हार गए। हालांकि 5 साल पूरा होने के एक महीना पहले कोर्ट के फैसले के बाद वर्मा की विधायिकी चली गई और गौतम विधायक बन गए। 2013 में फिर नीना वर्मा और गौतम आमने-सामने हुए, लेकिन इस बार गौतम बड़े अंतर से हार गए। 2018 में गौतम के बजाय उनकी पत्नी प्रभा गौतम ने चुनाव लड़ा और वे हार गईं। इसी के बाद यह माना जाने लगा कि अब धार की राजनीति में गौतम के दिन पूरे हो गए हैं।
दिग्विजय सिंह की मदद से गौतम ने अपने पत्नी को धार से दिलवाया टिकट
2023 के चुनाव की कवायद में खुद कमलनाथ ने कुलदीप को धार से तैयारी करने के लिए कहा और गौतम को बदनावर का रास्ता दिखाया। दोनों ने तैयारी शुरू कर दी। इसी बीच एक आपराधिक मामले में गौतम और उनके तीन परिजन जेल चले गए और यह माना जाने लगा कि इस बार शायद उन्हें मौका न मिले। दो महीने पहले जमानत मिलने के बाद वे फिर सक्रिय हो गए। इसी बीच बदनावर से भाजपा विधायक रहे भंवरसिंह शेखावत कांग्रेस में शामिल हो गए और यह तय माना जाने लगा कि उन्हें ही मौका मिलेगा। इसके बाद गौतम ने फिर धार की ओर रुख किया और दिग्विजय सिंह की मदद के चलते वे अपनी पत्नी को फिर से धार से टिकट दिलाने में सफल हो गए।
कुलदीप ने किया निर्दलीय नामांकन
कुलदीप ने बागी तेवर अख्तियार कर लिए। अपने दिवंगत पिता मोहनसिंह बुंदेला के प्रति लोगों की सहानुभूति को भुनाने में कुलदीप कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। नामांकन दाखिल करने के दौरान जो भीड़ उनके साथ उमड़ी, उसने कांग्रेस के साथ ही भाजपा की परेशानी को भी बढ़ा दिया है।
इस लेख के लेखक अध्यक्ष अरविंद तिवारी, इंदौर प्रेस क्लब