डिंडोरी/प्रकाश मिश्रा
जिला डिंडौरी में मनरेगा कार्यों में पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है। समनापुर जनपद क्षेत्र के पोषक ग्राम मोहदा में करीब 15 लाख रुपए की लागत से बन रहे पुलिया कम स्टाप डैप फर्जीवाड़े की भेंट चढ़ गया, जिसकी एक युवा मजदूर ने पोल खोल दी है। मामले का खुलासा होते ही महिला मेट मस्टर की जानकारी से पल्ला झाड़ती नजर आईं, वहीं सरपंच ने जांच कराने की बात कही है।
सिर्फ पुलिया का निर्माण स्टाप डेम का पता नहीं
जानकारी के अनुसार प्रशासन से स्वीकृति पुलिया कम स्टाप डैम निर्माण की मिली है, लेकिन मौके पर केवल पुलिया ही बनाई जा रही है और स्टाप डैम का अता पता नहीं है। पूरे मामले में ग्राम पंचायत के सचिव, रोजगार सहायक की करतूत सामने आई जहाँ मनरेगा के कार्य में लीपा पोती करते हुए शासकीय योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है।
मस्टर रोल में एडवांस हाजिरी
भ्रष्टाचार की हद तो तब हो गई जब तारीख आने से पहले ही मस्टर रोल में हाजिरी भर कर उसे सरकारी पोर्टल में दाखिल कर दिया गया। जिसका खुलासा गांव के ही एक मजूदर ने किया है बताया गया है कि जब उक्त मजदूर परिवार में दशगात्र कार्यक्रम के चलते काम पर नहीं जा रहा था, इसके बावजूद उसकी हाजिरी भर दी गई, जिस पर उसके जाली हस्ताक्षर भी किये गए थे। जानकारी लगने के बाद युवा मजदूर ने इसका विरोध भी किया। इस दौरान मामले को ठंडा करने के लिए मजदूर पर पंचायत से दबाव भी बनाया गया लेकिन वह नहीं माना । पुलिया कम स्टाप डैम का निर्माण देख रही महिला मेट से बात की तो उन्होंने बताया कि 21 जुलाई को केवल महिला मजदूर ही काम पर आई हैं, जिनकी संख्या 26 है वहीं पुरुष मजदूरों को 21 जुलाई को काम पर नहीं बुलाया गया था ऐसे में 21 और 22 जुलाई को पुरुष मजदूर की हाजिरी कैसे भर दी गई। जिससे साफ होता है कि रोजगार सहायक और पंचायत सचिव की मदद से फर्जीवाड़े का खेल चल रहा है ।
सरपंच ने कहा सचिव जिम्मेदार होनी चाहिए जांच
इस पूरे फर्जीवाड़े की खबर पर ग्राम पंचायत छाटा के सरपंच माखन लाल सरैया का कहना है कि उसे मस्टर रोल से सम्बंधित कोई भी जानकारी नहीं है. अगर गड़बड़ी हुई है तो जांच होनी चाहिए। सरपंच का कहना है कि पूरा काम सचिव के देखरेख में हो रहा है यदि काम में कोई गड़बड़ी हो रही है तो उसकी जिम्मेदारी सचिव की है।
क्या कर रहे हैं जिम्मेदार अधिकारी
निर्माण कार्य में पुलिया कम स्टाप डैम की स्वीकृति मिली थी, जिसकी लागत करीब 15 लाख रुपए है लेकिन वहां केवल पुलिया बनाई जा रही है. निर्माण की जांच रोजाना करना पंचायत के उपयंत्री का दायित्व है, लेकिन मिलीभगत के चलते फर्जी वाड़े को अंजाम दिया जा रहा है।