Election Duty: मध्यप्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी जोर शोर से की जा रही है। वहीं इसी कड़ी में मतदान कराने के लिए पूरे प्रदेश में करीब ढाई लाख मतदाताओं की ड्यूटी लगाई गई है। जिसमें वन विभाग के भी करीब 23 हज़ार कर्मचारी शामिल हैं। लेकिन अब चुनाव ड्यूटी को लेकर वन विभाग के कर्मचारी ने नाराजगी जाहिर की है।
दरअसल हाई कोर्ट के आदेश एवं निर्वाचन आयोग की वन विभाग के मैदानी अमले की चुनाव कार्य में ड्यूटी नहीं लगाने की गाइडलाइन के बावजूद भी भोपाल समेत कई जिलों के कलेक्टरों ने वन कर्मियों की चुनाव में ड्यूटी लगा दी है।
दरअसल वन विभाग का कहना है की यह समय वन विभाग के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। इस समय में जंगल में आग जैसे खतरे ज्यादा होते है। वहीं इसी के साथ यह तेंदूपत्ते का भी सीजन है। ऐसे में वन विभाग के कर्मचारी को चुनाव ड्यूटी में परेशानी का सामना करना पड़ेगा। दरअसल इसी को लेकर वन विभाग ने याचिका दायर की है और वन विभाग के कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी से छूट देने की अपील की है।
वहीं इसको लेकर मप्र कर्मचारी मंच के अध्यक्ष अशोक पांडेय, का कहना है कि ‘लोकसभा के चुनाव भोपाल में 7 मई को होना तय हुआ है। जिसमें हमारे यहां से लगभग 200 कर्मचारियों की ड्यूटी चुनाव में लगी है। अध्यक्ष अशोक पांडेय ने आगे बताया की हमारा यह जो समय होता है यह बहुत महत्वपूर्ण समय होता है इसमें जंगल में आग का खतरा बहुत होता है और दूसरा यह जो समय है यह तेंदूपत्ते का समय है। यदि ऐसे में मौके पर वन अमला नहीं रहा तो आप समझ सकते हैं कि आग बुझाने की जो करवाई है दिक्कत हो सकती है और कई बार यह आग जंगल में बड़े स्तर पर फ़ैल जाती है।
दरअसल इसको लेकर कर्मचारियों का कहना है की ऐसे समय ही अब चुनाव आए हैं तो बड़ी कठिन चुनौती है। इसको लेकर हमने निर्वाचन अधिकारी से अनुरोध भी किया है कि यदि संभव हो तो फील्ड के अमलो को राहत दी जाए और चुनाव ड्यूटी से उनको बाहर रखा जाए। इस समय गरीबों के लिए भी वन विभाग बहुत ही महत्वपूर्ण गतिविधि चलाता है जिससे काफी बड़ी मात्रा में लोग जुड़े हुए होते हैं।
दरअसल वन अमला हमेशा से ही चुनाव प्रक्रिया में लगता रहा है सामान्यत यह चुनाव या अधिकतर जो चुनाव देखे गए वह ठंड के मौसम में या बारिश के मौसम में वहां पर वन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने में समस्या नहीं होती है लेकिन इस बार क्योंकि गर्मी का सीजन है और वह भी तेंदूपत के साथ जुड़ गया है तो ऐसे में वन विभाग के लिए यह एक बड़ी समस्या सामने आ रही है।