मध्य प्रदेश में बिजली कंपनियों द्वारा बिजली दरों में बदलाव की सिफारिश की गई है। दरअसल, 151 से 300 यूनिट तक की खपत वाले स्लैब को खत्म करने की मांग की गई है। यदि ऐसा होता है, तो मध्यम वर्ग के लोगों को इससे बड़ा झटका लग सकता है। यदि 151 यूनिट से अधिक बिजली की खपत की जाती है, तो उन्हें प्रति यूनिट 7.11 रू प्रति यूनिट तक का बिल चुकाना पड़ सकता है। इस बदलाव से लगभग 25 लाख बिजली उपभोक्ताओं पर असर पड़ सकता है।
जानकारी के अनुसार, बिजली कंपनियां न केवल स्लैब समाप्त करने की योजना बना रही हैं, बल्कि टाइम ऑफ डे (टीओडी) टैरिफ लागू करने की भी सिफारिश कर रही हैं। इसके तहत, बिजली की खपत का शुल्क दिन और समय के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। दिन के समय बिजली खपत पर छूट दी जा सकती है, जबकि पीक आवर्स, जैसे सुबह और शाम के समय, बिजली महंगी हो सकती है।
क्या होगा अगर टाइम ऑफ डे लागू होता है?
अगर टाइम ऑफ डे (टीओडी) टैरिफ लागू होता है, तो 10 किलोवॉट से अधिक खपत वाले 11 लाख उपभोक्ताओं को पीक आवर्स में बिजली दरों में 20% वृद्धि का सामना करना पड़ेगा, जिससे बिजली खर्च में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। ऐसे में यह बदलाव राज्य के छोटे और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए चिंता का विषय माना जा रहा है। यदि बिजली की दरें बढ़ाई जाती हैं, तो नागरिकों की दैनिक जरूरतों पर इसका असर पड़ सकता है।
24 जनवरी तक आपत्तियां मांगी गई
हालांकि, यह बदलाव बिजली आपूर्ति और खपत में संतुलन बनाए रखने के लिए हो सकता है। वहीं, मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 24 जनवरी तक आपत्तियां मांगी हैं। जानकारी के मुताबिक, 11 से 14 फरवरी के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो राज्य के बड़ी संख्या में बिजली उपभोक्ताओं पर इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। हालांकि, इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए उपभोक्ताओं को नियामक आयोग के पास अपनी आपत्तियां दर्ज करानी होंगी, ताकि इससे होने वाली परेशानियों पर विचार किया जा सके और बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी पर रोक लगाई जा सके।