रतलाम, सुशील खरे। रतलाम जिले के बड़ावदा नगर वासियों को साफ सुथरा और शीतल पेयजल मिल सके। इसके लिए शहरी पेयजल योजना के तहत करोड़ों की लागत से फिल्टर प्लांट व नवीन पाइप लाइन बनाया गया। लेेकिन नगर परिषद और ठेकेदारों कि मिलीभगत से पूरी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। पिछले एक वर्ष से हो रही शिकायत के बाद जांच पर जांच तो हो रही है, मगर स्थाई निराकरण होता दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा। इन सबके चलते जनता परेशान हो रही है और जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान नहीं है।
दरअसल शहरी पेयजल योजना के तहत 4 करोड़ 29 लाख कि लागत पूरे बड़ावदा शहर में नवीन पाईप लाईन डाली गई और कार्य भी पूरे हुए। मगर लगभग 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रेशर से पर्याप्त पानी किसी को मिलता दिखाई नहीं दिया। इस बात को लेकर शहर के ही सुरेंद्र काकानी के द्वारा की गई शिकायत पर जांच अधिकारी जांच करने तो पहुंच रहे है, मगर कोई स्थाई निराकरण होता नहीं दिख रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि करोड़ों रुपए गबन करने वाले ठेकेदारों पर कार्रवाई करने कि बजाय जांच के नाम पर केवल समय दिया जा रहा है। जिम्मेदारों के रवैये को देखते हुए अब पूरे नगर वासियों की न्याय कि उम्मीद भी खत्म होती दिखाई दे रही हैं। जनता को जिन से न्याय की उम्मीद थी, अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वे ही दोषियों को बचाने में लगे हैं।
जावरा एसडीएम राहुल धोटे ठेकेदारों को साथ लेकर वार्ड नंबर 13 में निरीक्षण करने पहुंचे, तो पानी का प्रेशर नहीं मिलने से परेशान लोग पम्प का इस्तेमाल करते दिखाई दिए। एसडीएम ने तुरंत पंप को जप्त करने के दिया निर्देश। साथ ही उन्होंने शिकायतकर्ता सुरेन्द्र काकानी को नियम कानून को धता बताते हुए कहा कि तुम इस तरह ऊंची आवाज से बात नहीं करोगे। हम केवल पानी का प्रेशर मिल रहा है या नहीं यह चेक करने आए हैं, तो केवल यही बात करें। एसडीएम साहब को यह बात कौन बताएगा कि समस्या एक नहीं समस्या अनेक हैं। पूरे प्रोजेक्ट को पलीता लगा चुके डीपीआर व ड्राइंग के तहत काम हुआ ही नही। पूरे प्रोजेक्ट की गंभीरता से जांच की जाएगी तभी वह सभी दोषी ठेकेदार जेल के सलाखों के पीछे पहुंचेंगे, जिन्होंने आम जनता के अधिकार की मूलभूत सुविधा को पलीता लगाया है।