जबलपुर में फल की दुकान में लगी आग, खाली फायर टैंकर लेकर पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम

Gaurav Sharma
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जबलपुर,संदीप कुमार। जबलपुर फायर ब्रिगेड की टीम अपने आकस्मिक काम को लेकर कितनी तैयार रहती है यह बानगी आज देखने को उस समय मिली जब दुर्घटना के दौरान फायर ब्रिगेड कर्मी खाली फायर टैंकर लेकर ही मौके पर आग बुझाने पहुंच गए, इस दौरान दुकान में आग जलती रहे और फायर ब्रिगेड कर्मचारी दूसरे वाहन का इंतजार करते रहे।

आधे घंटे बाद मौके पर पहुंचा दूसरा दमकल वाहन- तब जाकर आग पर पाया गया काबू

दुकान में लगी आग धधक रही थी और फायर कर्मी दूसरे दमकल वाहन का इंतजार कर रहे थे। करीब आधे घंटे बाद मौके पर जब दूसरा दमकल वाहन पहुंचा तब जाकर आग पर काबू पाया गया। पर तब तक जिस दुकान में आग लगी थी वह पूरी तरह से जल चुकी थी। कुछ लोग बढ़ती आग को देखते हुए बाल्टी से ही आग बुझाने का प्रयास कर रहे थे पर वह नाकाफी था।

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फल दुकान में लगी आग शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है कारण

दर्शल सिविल लाइन स्थित एक फल दुकान में अचानक ही आग लग गई, आग से दुकान जल रही थी तभी स्थानीय लोगों ने फायर ब्रिगेड को इसकी सूचना दी। कुछ ही देर में फायर टैंकर मौके पर पहुंच गया। पर जैसे ही उसने आग बुझाने की कोशिश की तो टैंकर का पानी ही खत्म हो गया, इसके बाद दुकान धू-धू जल रही थी। तो वही फायर कर्मी ने दूसरे दमकल वाहन को मौके पर भेजने फायर कंट्रोल रूम में सूचना दी। करीब आधे घंटे बाद दूसरा दमकल वाहन जब मौके पर पहुंचा तब तक दूकान पर आग ने काबू कर लिया था। बताया जा रहा है कि जिस दुकान में आग लगी वह फल की थी और दुकान में शार्ट सर्किट के चलते आग लग गई थी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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