गुना, डेस्क रिपोर्ट। गुना जिला अस्पताल में लापरवाही की हद हो गई जब एक घंटे तक लगातार एक पिता इधर से उधर डॉक्टरों की तलाश में घूमता रहा। लेकिन उसे अपने बच्चे की जान बचाने के लिए न स्ट्रेचर नसीब हुआ, न ही डॉक्टर मिले। जब बहुत भटकने के बाद जैसे तैसे डॉक्टर मिले देर हो चुकी थी और इलाज के दौरान एक गरीब पिता के बेटे ने अपने पिता की आँखों के सामने ही दम तोड़ दिया। जिंदगी से हारे मासूम के लिए आंसू बहाते इस गरीब पिता का आखिर यही कहना था कि इंसानियत नाम की चीज नहीं बची साहब।
जी हां, गुना में एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसे देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे। यहां जिला अस्पताल में एक पिता अपने बेटे को लेकर इधर-उधर भटकता रहा। उसे आशा थी कि डॉक्टर देख लेंगे और समय पर इलाज मिल जाएगा तो उसके बच्चे की जान बच जाएगी।लेकिन वह जिला अस्पताल के अंदर ही डॉक्टरों की तलाश में करीब 1 घंटे तक घूमता रहा। इस दौरान उसे कहीं इधर तो कभी उधर जाने के लिए कहा गया। फिर उससे कहा गया कि आपके पास तो पर्चा तो है ही नहीं। बच्चे की जान बचाने के लिए भागा भागा पिता पर्चा बनवा कर लाया और इलाज के लिए भर्ती कराया। तेज बुखार और अचानक बिगड़ी तबीयत के बाद 1 घंटे तक भटकने के दौरान उसकी तबीयत और बिगड़ गई। हालांकि भर्ती कराने के बाद इलाज तो शुरू हुआ लेकिन इलाज के दौरान बच्चे ने अपने गरीब पिता के सामने ही दम तोड़ दिया।
वहीं जिला अस्पताल के जिम्मेदार अब इस मामले को लेकर अब तक अनजान बने हुअ हैं। उनका कहना है कि जानकारी लगने पर वो मामले की जांच करेंगे और दोषियों पर कार्रवाई करेंगे। लेकिन सवाल यह है कि जब एक मासूम की जान ही चली गई तो अब जांच किसकी होगी और कार्रवाई क्या की जाएगी। आखिर एक मासूम की जान से खिलवाड़ करने वाले जिला अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई करके क्या न्याय मिल सकेगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
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श्रुति कुशवाहा
2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।