ग्वालियर। प्रदेश के परिवहन विभाग में बैठे आला अधिकारियों की मनमानी के चलते चिप बनाने वाली कम्पनी स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड अवैध रूप से काम कर रही है, इसका अनुबंध तीन महीने पहले ही ख़त्म हो चुका है । इसकी वजह से उपभेक्ताओं को काफी परेशानी का सामना तो करना ही पड़ रहा है, साथ ही ऑनलाइन सेवा के नाम पर पोर्टल शुल्क के रूप में 100 रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश के मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग ने 2013 में ऑनलाइन सुविधा शुरू की थी और इसके लिए सिंतबर 2013 में स्मार्ट चिप प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से पांच साल के लिए अनुबंध किया था। अनुबंध की शर्तों के हिसाब से कम्पनी का अनुबंध सितम्बर 2018 में समाप्त हो गया लेकिन प्रदेश का परिवहन विभाग प्रदेश अपने सभी कार्यालयों में अभी भी इस कम्पनी की सेवाएं ले रहा है जो अवैध की श्रेणी में आता है। जवाब पूछने पर अधिकारियों का तर्क है कि कम्पनी के साथ परिवहन विभाग के अनुबंध को पांच साल हो गए ये बात सही है लेकिन कम्पनी ने अपना काम एक साल बाद यानि 2014 किया था इस हिसाब से उसे काम करते हुए अभी चार साल हुए हैं फिर भी हमने इस संबंध में सरकार को पत्र लिखा है कि कंपनी के अनुबंध का कार्यकाल किस अवधि से माना जाए। जिस तारीख को अनुबंध हुआ उस तारीख से या जिस तारीख से कंपनी ने काम शुरु किया उस तारीख से । अधिकारियों का कहना है कि पत्र का जवाब मिलने के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएंगी।