ग्वालियर। जीवाजी यूनिवर्सिटी ने आयुर्वेद दवा बनाने वाली कम्पनी एमिल फार्मास्युटिकल के साथ आयुर्वेद की मौजूदा दवाओं के प्रमाणीकरण और नई दवाओं की खोज के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं जिसके तहत जेयू में आयुर्वेद के क्षेत्र में चल रहे शोध का उपयोग एमिल करेगी और छात्रों को नए अवसर प्रदान करेगी।
गौरतलब है कि जेयू में नैनो टेक्नोलॉजी के जरिये आयुर्वेद के क्षेत्र में रिसर्च चल रही है। अब इस क्षेत्र में एमिल कम्पनी भी मदद करेगी। केन्द्रीय स्वास्थ्य अनुसन्धान विभाग के पूर्व सचिव प्रो. वी एम कटोच की उपस्थिति में कुलपति संगीता शुक्ला और एमिल के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने समझौते पर हस्ताक्षर किये। प्रो. कटोच ने कहा कि आयुर्वेद में कई लाइलाज बीमारियों का समाधान छिपा है यदि इन दवाओं पर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के नजरिये से गहन शोध किया जाये तो विश्व स्तरीय दवाएं बनाई जा सकती हैं। एमिल के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि इस समझौते के तहत आयुर्वेद के पुराने फार्मूलों को परखने के साथ नई दवाएं विकसित करने पर जोर रहेगा। शोध में नैनो टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पदार्थ के गुणों में व्यापक अंतर लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जेयू के पास वैज्ञानिकों का तंत्र है तथा परीक्षण सम्बन्धी सुविधाएँ हैं। एमिल आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराएगा।