अंधेकत्ल का खुलासा, ट्रेन में साथ में भीख मांगते थे, ग्वालियर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया

हत्या के संबंध में पूछताछ की तो उसने दिनांक 16/17 अक्टूबर की दरमियानी रात को अपने दोस्त सौरभ उर्फ चप्पा की सिर में सरिया मारकर हत्या करना स्वीकार किया।

Atul Saxena
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Padav Police Station Gwalior

Gwalior News : ग्वालियर पुलिस ने एक अंधे कत्ल का खुलासा किया है, पुलिस जाँच में सामने आया कि आरोपी मृतक का दोस्त है, मृतक और आरोपी दोनों ट्रेन में एक साथ भीख मंगाते थे किसी बात पर दोनों के बीच मारपीट हुई थी जिसका बदला लेने के लिए आरोपी ने उसकी हत्या कर दी।

पुलिस ने बताया कि रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म न.01 पर ठेला लगाने वाले अशोक गुप्ता ने थाना पड़ाव पर सूचना दी थी कि 17 अक्टूबर की रात करीब 1.00 बजे वह अपना ठेला बन्द करके उसे स्टेण्ड पर रखने जा रहा था तभी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म न.01 के वाहन स्टेण्ड के आगे बने फुटपाथ पर एक अज्ञात व्यक्ति खून से लथपथ हालत में पड़ा हुआ है, जिसके सिर में चोट लगकर खून निकला हुआ है।

स्टेशन के ठेले वाले ने दी पुलिस को घटना की सूचना 

सूचना पर पड़ाव पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची और देखा कि उक्त अज्ञात व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है। जिस पर थाना पड़ाव में मार्ग दर्ज कर जांच में लिया गया। जांच के दौरान पुलिस ने अज्ञात मृतक की शिनाख्तगी के प्रयास किये। उक्त अज्ञात व्यक्ति की पीएम रिपोर्ट में उसकी मृत्यु सिर पर आई गम्भीर चोटों से होना पाई गई। जिसके आधार पर थाना पड़ाव में अज्ञात आरोपी के खिलाफ हत्या का प्रकरण पंजीबद्व कर विवेचना में लिया गया।

पुलिस ने तत्काल लिया एक्शन 

हत्या की घटना को गंभीरता से लेते हुये पुलिस अधीक्षक ग्वालियर धर्मवीर सिंह ने अधिकारियों को मामले के शीघ्र निराकरण के निर्देश दिए,। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर इंचार्ज थाना प्रभारी पड़ाव उप निरीक्षक संतोष सिंह भदौरिया के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम को उक्त हत्या के प्रकरण के खुलासे के लिए लगाया गया।

मृतक के भाई ने की शव की पहचान 

विवेचना के दौरान पुलिस टीम ने घटना स्थल के आसपास के सीसीटीव्ही फुटेज चेक किये, मुखबिर तंत्र सक्रिय किया गया। विवेचना के दौरान थाना पड़ाव में शिवा भोटिया पुत्र लालाराम भोटिया उम्र. 25 साल निवासी- मालपुरा आगरा (उ.प्र.) आया और उसने बताया कि उसके मौहल्ले का दीपक उर्फ ढावा भोटिया द्वारा मौहल्ले में बोला कि मैंने सौरभ उर्फ चप्पा को ग्वालियर में सिर में सब्बल मारकर मार दिया है।

ऐसे हुई मृतक की पहचान 

मुझे विश्वास नहीं हुआ तब 26/27 अक्टूबर की रात में मल्हपुरा थाना के स्टाफ ने पूछताछ की और एक मोबाइल में फोटू दिखाया जो कि मेरे भाई सौरभ उर्फ चप्पा का था मैने पहचान लिया तब हमारे यहाँ पुलिस के द्वारा बताया कि थाना पड़ाव जिला ग्वालियर में उसकी बॉडी मिली है। तब हम लोग यहां पड़ाव थाना आये। मृतक की पहचान मृतक के भाई शिवा भोटिया द्वारा मृतक के हाथ पर बने टेटू व दाहिने हाथ पर लिखे महादेव व चहरे से पहचान की गई और बताया कि यह मेरा भाई सौरभ उर्फ चप्पा भोटिया है।

मंदिर के पास घूमता मिला आरोपी 

थाना पड़ाव पुलिस द्वारा आरोपी दीपक उर्फ ढावा भोटिया की तलाश की गई तो मुखबिर की सूचना मिली कि चप्पा उर्फ सौरभ का मर्डर करने वाला दीपक जो कि ट्रेन में घूमता है, वह अभी मंशापूर्ण मंदिर के पास देखा गया है। जिस पर थाना पड़ाव पुलिस की टीम बताये स्थान पर पहुंची तो मुखबिर के बताये हुलिया का एक व्यक्ति पुराने पुल की सीड़ी पर बैठा दिखा। जिसे पुलिस टीम द्वारा पकड़ लिया गया नाम व पता पूछने पर उसने अपना नाम आरोपी दीपक उर्फ ढावा भोटिया बताया।

पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार 

उक्त हत्या के संबंध में पूछताछ की तो उसने दिनांक 16/17 अक्टूबर की दरमियानी रात को अपने दोस्त सौरभ उर्फ चप्पा की सिर में सरिया मारकर हत्या करना स्वीकार किया। पकड़े गये आरोपी की तलाशी लेने पर उसकी जेब से 150/- रूपये नगद मिले। पुलिस द्वारा पकड़े गये आरोपी से घटना में प्रयुक्त सब्बल के संबंध में पूछताछ करने पर उसने बताया कि घटना के बाद सब्बल को झाड़ियों में फैक दिया था जिसे पुलिस टीम द्वारा आरोपी की निशादेही पर बरामद कर लिया गया है।

 ये रहा हत्या का कारण

मृतक सौरभ उर्फ चप्पा एवं आरोपी दीपक उर्फ ढावा भोटिया दोनों दोस्त थे और ट्रेन में भिक्षा मांगा करते थे और दोनों सिलोचन का नशा करते थे। इसी दौरान मृतक ने आरोपी की कई बार मारपीट भी की थी। जिस पर से बदला लेने की नीयत से घटना दिनांक को आरोपी ने फुटपाथ पर सो रहे सौरभ उर्फ चप्पा की मौके पर पड़े सब्बल को सिर में मारकर हत्या कर दी थी।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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