मीसाबंदियों की पेंशन रोकने का मामला, HC ने सरकार को जारी किया नोटिस

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ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने भाजपा सरकार में जारी मीसा बंदियों की पेंशन पर कांग्रेस की कमलनाथ सरकार द्वारा रोक लगाए जाने संबंधी याचिका पर नोटिस जारी किए हैं और सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने के लिए निर्देश दिया है । दरअसल मध्य प्रदेश की तरह ही देश के करीब 10 राज्यों में मीसा बंदियों को पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही मीसाबंदियों की पड़ताल शुरू हो गई है| पहले पेंशन बंद करने की बात सरकार की ओर से सामने आई फिर अब सरकार मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन करा रही है| इसके खिलाफ ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी| 

कांग्रेस सरकार का मानना है कि मीसा बंदियों के नाम पर कुछ अपात्र लोग पेंशन का लाभ पा रहे थे। इसलिए इसे रोका गया है । इस सुविधा पर रोक लगाने से मीसाबंदी आक्रोशित हो गए। उन्होंने हर जिले में ज्ञापन दिया और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी। हालांकि सरकार ने मीसा बंदियों के विरोध के बाद इसकी समीक्षा के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में आपातकाल लागू हुआ था। उस समय कई लोगों को जेलों में बंद कर दिया गया था और यातनाएं दी गईं थी। बाद में यह लोग रिहा हो गए जिन्हें लोकतंत्र सेनानी (मीसा बंदी ) कहा गया। अब हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है और इनकी पेंशन रोकने का कारण पूछा है।


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