Gwalior News: पार्षद पत्नी… नगर परिषद की बैठक में शामिल हुए पति, करीब दो दर्जन कार्य प्रस्तावों को भी मिली मंजूरी

गौर करने वाली बात यह है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ओर तो महिलाओं को बराबर से आरक्षण देने पर जोर दे रहे हैं, सरकार महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा भी दे रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर प्रशासनिक अधिकारी लापरवाह नजर आ रहे हैं।

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Gwalior News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के भितरवार नगर परिषद की बैठक हुई। इस दौरान कुछ पार्षद पतियों का जमकर हंगामा देखने को मिला है। दरअसल, बुधवार को भितरवार नगर परिषद की बैठक हुई। जिसमें नगर परिषद अध्यक्ष बलदेव सिंह अग्रवाल, उपाध्यक्ष मन्नू यादव, सीएमओ बाबूलाल कुशवाहा और पार्षद लोग उपस्थि हुए। लेकिन महिला पार्षद की जगह उनके पति बैठक में दिखे। वहीं परिषद में पास हुए पिछले कुछ कार्यों के शुरू न होने से पार्षद पति नाराज दिखे और इस संबंध में परिषद की बैठक में जमकर हंगामा देखने को मिला।

प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में पार्षद पतियों ने की बैठक

हालांकि लंबे समय चले इस हंगामे के बाद नगर परिषद में लगभग दो दर्जन कार्यों को भी मंजूरी मिली है। लेकिन जहां पार्षदों को उपस्थित होना था, वहां पार्षद पतियों की उपस्थिति साफ तौर से यह दर्शाती है कि यहां पर महिलाओं को कितना आगे रखा जा रहा है। साथ ही सरकार की महिला सशक्तिकरण कि इस मुहिम को कितना महत्व दिया जा रहा है। ऐसे में खुद नगर परिषद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और प्रशासनिक अधिकारी सीएमओ मौजूद थे। उसके बाद भी पार्षद पति बैठक में दिखे।

गौर करने वाली बात यह है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ओर तो महिलाओं को बराबर से आरक्षण देने पर जोर दे रहे हैं, सरकार महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा भी दे रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर देखा जाए तो इन मुहिमों पर खुद जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी लापरवाह नजर आते हैं।

डबरा से अरूण रजक की रिपोर्ट


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Shashank Baranwal

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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है– खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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