नगर निगम की गौशाला से आई शर्मनाक तस्वीर, बीमार गौवंश की आँख निकालकर खा रहे कौए 

Gaurav Sharma
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। गौवंश के संवर्धन और संरक्षण के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति रखने वाली मध्यप्रदेश सरकार के मुलाजिम कितने लापरवाह और असंवेदनशील है इसकी एक शर्मनाक तस्वीर ग्वालियर में सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। तस्वीर में बीमार गौवंश बेसुध पड़ा है, उसकी आँखों में कौए के घाव हैं, कौए गौवंश की आँख फोड़ रहे हैं।

ग्वालियर नगर निगम की गोला का मंदिर चौराहे के पास बनी गौशाला की एक तस्वीर ऐसी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसने ये बता दिया है कि नगर निगम में बैठे अफसर कितने लापरवाह और असंवेदनशील है।

रूह कंपकंपाने देने वाली तस्वीर सोशल मीडिया पर डाली है गायों के संरक्षण के लिए लम्बे समय से काम कर रहे शहर के एक पत्रकार आकाश सक्सेना ने। तस्वीर में दिखाई दे रहे गौवंश की हालत देख कर ही समझ आ रहा है कि नगर निगम को इनकी किया परवाह है। इतना ही नहीं गौवंश की आंखों में घाव भी दिखाई दे रहे है।

इस दिल दहला देने वाली तस्वीर की देखने के बाद जब एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने आकाश सक्सेना से बात की तो उन्होंने बताया कि वे गोला का मंदिर गौशाला में सेवा की दृष्टि से जाते रहते हैं। वे कई दिनों से देख थे कि गम्भीर रूप से बीमार पड़े गौवंश के लिए यहाँ कोई व्यवस्था नहीं है। उन्हें खुले आसमान के नीचे रखा जा रहा है जहां इनकी हालत का फायदा उठाकर कौए इनकी आँख नोच कर गहरे घाव दे रहे हैं।

आकाश ने बताया कि वे नगर निगम कमिश्नर से लेकर गौशाला प्रभारी तक सबको गौवंश की दयनीय दशा की जानकारी दे चुके हैं। मुझे आश्वासन दिया गया कि एक शेड लगवा दिया जायेगा लेकिन इसे बेशर्मी ही कहा जायेगा कि किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया इसीलिए दुखी और भारी मन से उन्होंने ये तस्वीर सोशल मीडिया पर डाली है।

एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने जब इस मामले में गोला का मंदिर गौशाला के प्रभारी केशव सिंह चौहान से बात की तो उन्होंने कहा कि गोले का मंदिर गौशाला में बीमार गौवंश को रखने की व्यवस्था नहीं है हम उसे लाल टिपारा गौशाला में भेज देते हैं। रही बात खुले आसमान में रखने की तो जल्दी ही वहाँ शेड की व्यवस्था करवा दी जायेगी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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