डबरा, गौरव शर्मा। स्वच्छता की रैंकिंग में पिछड़ने के बाद प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने रविवार को ग्वालियर (Gwalior News) में एक बार फिर निर्देश दिए कि सफाई व्यवस्था को प्राथमिकता से लिया जाये इसे जन आंदोलन बनाने की जरूरत है। लेकिन उनका आदेश ग्वालियर जिले के अधिकारियों- कर्मचारियों को कितना प्रभावित करता है इसकी बानगी डबरा (Dabra News) में देखी जा सकती है।
ग्वालियर जिले का महत्वपूर्ण क्षेत्र डबरा इन दिनों अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। नगर पालिका (Nagar Palika Dabra) के जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी आँखों पर ऐसी पट्टी बांधी है कि उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं देता। हालात ये हैं कि चारों तरफ सिर्फ गंदगी ही दिखाई देती है। हालाँकि कभी सफाई होती है और कचरा उठाया भी जाता है लेकिन उनको भरने और फिर फेंकने तक के रास्ते में निगम के कर्मचारी ही इतना कचरा फैलाते हैं कि समझ ही नहीं आता कि सफाई हुई भी है कि नहीं।
नगर पालिका के सफाई अधिकारी मुकेश आरन को स्थानीय लोग कई बार शिकायतें कर चुके हैं लेकिन उनके पास सिर्फ सरकारी जवाब ही रहता है। गंदगी के चलते डबरा में संक्रामक बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है। डेंगू, मलेरिया के बढ़ते मरीजों के बीच ना तो क्षेत्र में फॉगिंग होती है और ना ही ठीक से सफाई। इस सबके बावजूर नगर पालिका के सफाई अधिकारी को कुछ ख़राब दिखाई नहीं देता।
आपको बता दें ये हाल केवल डबरा का ही नहीं है ग्वालियर जिले के अधिकांश क्षेत्रों में सड़कों पर गंदगी या गंदगी फैलाते वाहन दिखाई दे जायेंगे। जबकि ग्वालियर जिले के प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट बार बार अल्टीमेटम देते हैं लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं होता। रविवार 21 नवम्बर को ग्वालियर में समीक्षा बैठक करने आये प्रभारी मंत्री से जब मीडिया ने स्वच्छता में ग्वालियर के पिछड़ने पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि ये गंभीर विषय है और चुनौती है इसे जन आंदोलन बनाया जायेगा। लेकिन यदि गंदगी उठाने वाले ही गंदगी फैलाएंगे तो फिर कैसे जन आंदोलन सफल होगा ये बड़ा सवाल है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....