गौवंश संरक्षण नीति को पलीता , 200 से अधिक गायों की मौत, भड़के कलेक्टर

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) गौवंश संवर्धन और संरक्षण (Cattle breeding and protection) को लेकर बहुत गंभीर है। शिवराज सरकार ने इसके लिए योजना बनाकर काम शुरू किया है। इस योजना की गंभीरता का सबसे बड़ा प्रमाण गौ कैबिनेट (Cow cabinet) है जिसका गठन पिछले दिनों ही हुआ हैं। लेकिन ग्वालियर में पदस्थ सरकार के मुलाजिम किस तरह से गौ संरक्षण नीति को पलीता लगा रहे हैं इसका उदाहरण ग्वालियर नगर निगम की आदर्श गौशाला में हो रही गायों की मौत का आंकड़ा है। बताया जा रहा है कि पिछले नौ दिनों में ही सर्दी और अव्यवस्था से यहाँ 239 गायों की मौत हो चुकी है। मौत का आंकड़ा बाहर आने के बाद कलेक्टर अन्य अधिकारियों के साथ गौशाला पहुंचे और कर्मचारियों को फटकार लगाते हैं गायों को सर्दी से बचाने के उपाय करने के निर्देश दिये।

ग्वालियर के सोशल मीडिया पर इस समय गायों की मौत को लेकर एक मैसेज वायरल हो रहा है। ये आंकड़ा है नगर निगम की आदर्श गौशाला लाल टिपारा गौशाला (Lal Tipara Gaushala) का जिसमें करीब 6 हजार गायें हैं इन गायों के लिए अलग अलग ब्लॉक हैं। अब बड़ी बात ये है कि सर्दी में यहाँ रोज 20 से अधिक गायें मर रही हैं। गायों की मौत का बढ़ता आंकड़ा गौसेवक पत्रकार आकाश सक्सेना ने तारीखवार सोशल मीडिया पर वायरल किया। आकाश के मुताबिक यहाँ पिछले नौ दिनों में सर्दी के कारण 239 गायों की मौत हो चुकी है क्योंकि जिस क्षेत्र में बीमार और घायल गायों को रखा जाता है वो खुली है, वहाँ कोई शेड नहीं है। चूंकि ग्वालियर में इस समय तेज सर्दी शुरू हो गई है जिसे बीमार और घायल गाय सहन नहीं कर पा रही और उनकी मौत हो रही है। आकाश ने जो आंकड़े वायरल किये उसके हिसाब से 16 नवंबर को 23 मौत, 17 नवंबर को 30 मौत, 18 नवंबर को 29 मौत , 19 नवंबर को 24 मौत, 20 नवंबर को 23 मौत, 21 नवंबर को 23 मौत, 22 नवंबर को 26 मौत, 23 नवंबर को 30 और 24 नवंबर को 31 गायों की मौत सर्दी के कारण हुई।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....