ग्वालियर, अतुल सक्सेना। आज गुरुवार 16 जून को एक बार फिर ग्वालियर (Gwalior) में ऐसा कुछ हुआ जो पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है, शहर के हर नागरिक के जेहन में एक ही सवाल उठ रहा है कि आखिर पुलिस का इंटेलिजेंस सिस्टम फेल क्यों हुआ? क्यों पुलिस को इस बात की भनक नहीं लगी कि भारी संख्या में भीड़ शहर में जुटने वाली है और प्रदर्शन के नाम पर शहर की शांति व्यवस्था को भंग कर तोड़फोड़ करने वाली है।
योजना की घोषणा, विपक्ष का विरोध
दरअसल केंद्र सरकार की अग्निपथ (Agnipath) योजना में 4 साल के लिए सेना भर्ती का विरोध आज सड़कों पर दिखाई दिया। बिहार से लेकर देश के अलग अलग हिस्सों में युवाओं ने हंगामा किया। कल सरकार की योजना की घोषणा के बाद से विपक्ष विरोध करने लगा था, मप्र कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने अग्निपथ को अग्निकुंड तक कहा।
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बेरोजगार युवाओं ने किया हंगामा, तोड़फोड़
नेताओं के जुबान से निकले विरोध के सुर युवाओं तक पहुँचते पहुँचते आक्रोश में बदल गए, सेना में भर्ती होकर देश की सेवा का सपना देख रहे बेरोजगार युवा सड़कों पर आ गए और हंगामा करने लगे। करीब तीन घंटे तक ग्वालियर उपद्रवियों के हवाले रहा। प्रदर्शनकारियों ने ना सिर्फ सड़कों, चौराहों पर हंगामा (Uproar over Agnipath scheme) किया बल्कि रेलवे स्टेशन को भी नुकसान पहुंचाया। प्रदर्शनकारियों ने बिरलानगर रेलवे स्टेशन पर खूब तोड़फोड़ की, स्टेशन के बेंचों को रेलवे ट्रेक पर फेंक दिया। स्टेशन पर खड़ी ट्रेन पर भी पत्थर फेंके। प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े, लाठियां भांजी, कुछ युवकों को हिरासत में भी ले लिया।
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पुलिस की चूक उजागर
ग्वालियर (Gwalior News) में आज पुलिस के इंटेलिजेंस फेलियर (gwalior police failure) का नजारा उस समय देखने को मिला जब हजारों की संख्या में युवाओं का हुजूम गोले का मंदिर चौराहे पर पहुंच गया और उसने हंगामा शुरू कर दिया। शुरुआत में कुछ लड़के पहुंचे उन्होंने केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के विरोध में नारेबाजी की, प्रदर्शन किया और टायरों में आग लगा दी। जब तक पुलिस (Gwalior Police) कुछ समझ पाती तब तक हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी इकठ्ठा हो गए और हंगामा करने लगे, फिर शहर के एक बड़े हिस्से में उत्पात मचाया।
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पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
सवाल ये उठता है कि शहर के एक बड़े चौराहे पर (जो पड़ोसी जिले भिंड और मुरैना को जोड़ता है) हजारों की संख्या में भीड़ पहुंचती है और पुलिस को भनक तक नहीं लगती, पको बता दें कि ग्वालियर में दो साल पहले 2 अप्रैल को भी ऐसी ही भीड़ ने हंगामा किया था हिंसा की थी, इससे पहले सेना भर्ती के दौरान भी गोला का मंदिर चौराहे के पास भर्ती में शामिल होने आये युवाओं ने हंगामा किया था आगजनी और उपद्रव किया था।
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दिलाना होगा जनता को भरोसा
कहने को ग्वालियर शहर शांत क्षेत्र है बावजूद इसके ग्वालियर पुलिस का पिछली दो घटनाओं से सबक ना लेना और कम्फर्ट मोड में रहना कई सवाल खड़े करता है। हालाँकि आज की घटना पर एसएसपी अमित सांघी का कहना है कि इंटेलिजेंस फेलियर की वे समीक्षा करेंगे। बहरहाल अचानक बनी स्थिति को पुलिस और प्रशासन ने तीन घंटो में संभाल लिया लेकिन आगे क्या ऐसा नहीं होगा इसका भरोसा शहरवासियों को पुलिस को दिलाना होगा।