Gwalior News : हितग्राहियों को चार महीने से नहीं मिला राशन, जिम्मेदार नहीं कर रहे कार्रवाई

उपभोक्ता वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत करने की बात कहते हैं। तो उन्हें धमकाकर यह है कह देता है कि शिकायत कर दो मेरा कोई कुछ नहीं कर पाएगा।

Amit Sengar
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Gwalior News : प्रदेश में शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं का फायदा गरीबों तक नहीं पहुंच पा रहा है। शासकीय योजनाएं जिन गरीबों को फायदा पहुंचाती हैं, कई जगहों पर अधिकारियों की मेहरबानी के कारण उनके असली हकदार सुविधा से वंचित हो जाते हैं। ऐसा ही एक मामला ग्वालियर शहर के वार्ड क्रमांक 52 का है। जहाँ पिछले चार महीने से गरीबों को राशन नहीं मिला है।

क्या है पूरा मामला

आपको बता दें कि ग्वालियर के वार्ड क्रमांक 52 में एक राशन की दुकान है। जिसका संचालक अमित जैन करते है। इनके द्वारा फरियादी विद्या कुशवाह, कौशल्या कुशवाह, के साथ-साथ कई अन्य उपभोक्ताओं को समय पर राशन वितरण नहीं किया जा रहा है। जब उपभोक्ता राशन लेने के लिए दुकान पर पहुंचते हैं। तो दुकान संचालक अमित जैन हर महा उपभोक्ताओं को एक नई तारीख बताकर राशन देने की बात कह देता है। फिर उसके बाद मशीन पर फिंगर लगवा लेता है, और राशन भी नहीं देता है। इसी तरह कितने ही उपभोक्ताओं को लगभग तीन से चार महीने का राशन नहीं दिया गया है। जब उपभोक्ता वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत करने की बात कहते हैं। तो उन्हें धमकाकर यह है कह देता है कि शिकायत कर दो मेरा कोई कुछ नहीं कर पाएगा।

इससे अंदाजा यह भी लगाया जा सकता है कि ऐसे दुकान संचालकों को कहीं ना कहीं संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों का संरक्षण मिलता है जिसके कारण यह उपभोक्ताओं को इस तरह परेशान करते हैं, और उनके हक का राशन खा जाते हैं। क्योंकि अगर पोस्ट मशीन में देखा जाए तो इन दुकान संचालकों पर पहले से कई क्विंटल राशन मौजूद है। उसके बावजूद भी खाद्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इन्हें हर माह आवंटन दिया जाता है। आखिरकार खाद्य विभाग ऐसी दुकानों पर जांच कर कार्रवाई क्यों नहीं करता।

वहीं इस पूरे मामले में जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी विपिन श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसे मामले उनके संज्ञान में नहीं है। यह मामला उनके संज्ञान में आया है। इस पर वह जल्द से जल्द दुकानों की जांच करवाएंगे और दुकान संचालकों पर उचित कार्रवाई करेंगे।

ग्वालियर से अरुण रजक की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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