Gwalior News : स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई की शहादत की 166वीं वर्षगाँठ पर उनकी समाधि के समक्ष 17-18 जून को दो दिवसीय वीरांगना बलिदान मेला आयोजित होगा। 18 की शाम को इस समारोह में देश के प्रख्यात संत उत्तम स्वामी महाराज व नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय शामिल होंगे।
बलिदान मेला के संस्थापक अध्यक्ष पूर्व सांसद व पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने जानकारी देते हुए बताया कि सन् 2000 में स्थापित बलिदान मेला का यह 25वाँ पुष्प, रजत वर्ष है। मेला का प्रमुख समारोह 18 जून को सायं 7 बजे होगा, जिसमें शहीद चंद्रशेखर आजाद के प्रमुख सहयोगी क्रांतिकारी रुद्रनारायण के वंशज का सम्मान व मातृशक्ति की राष्ट्रीय प्रमुख मीनाक्षी ताई पिशवे को वीरांगना सम्मान तथा चंबल के शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया जाएगा। 18 को ही सायं महानाट्य खूब लड़ी मर्दानी का मंचन होगा इसमें 200 पात्र व सजीव घोड़ों पर युद्ध का प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 18 जून को अ. भा. कवि सम्मेलन में देश के प्रतिष्ठित कवि हरिओम पवार, विष्णु सक्सेना, विनीत चौहान, शंभू शिखर जॉनी बैरागी सुत्री योगिता चौहान अनिल अग्निवंशी, सुमित ओरछा व मोहित शौर्य काव्यपाठ करेंगे ।
17 को शहीद ज्योति यात्रा व प्रदर्शनी का होगा शुभारंभ
पवैया ने बताया कि 17 जून की सायं झाँसी से आई शहीद ज्योति यात्रा को फूलबाग चौराहा से पैदल शोभा यात्रा के रूप में वीरांगना समाधि तक ले जाकर स्थापित किया जाएगा । 17 को सायं 7.30 बजे रानी के मौलिक शस्त्रों व स्वराज संस्थान की प्रदर्शनी जरा याद करो कुर्बानी का उद्घाटन होगा। उन्होंने कहा कि वीरांगना बलिदान मेला 25 वर्षों की निरंतर यात्रा पूरी कर रहा है और अब यह देश का सबसे बड़ा शहीदी मेला बन चुका है। पवैया ने शहर व अंचल के देशभक्त नागरिकों से 1858 के वीर-वीरांगनाओं को श्रद्धापुष्प अर्पित करने का आग्रह किया।
16 को होगा भूमि पूजन
भूमि पूजन समारोह नगर के धर्माचार्यों के सानिध्य में 16 जून को सायं 6 बजे संपन्न होगा।