Gwalior News : विदेशियों को भी प्रभावित कर रहा पीएम मोदी का “एक पेड़ मां के नाम” अभियान, लंदन की दो छात्राओं ने स्कूल में लगाया पौधा

विदेशी छात्राएं स्कूली बच्चों द्वारा प्रकृति पर्यावरण और वन संरक्षण के लिए बनाई गई कलाकृतियां और पेंटिंग देखकर आश्चर्यचकित रह गईं, उन्होंने बच्चों के सेव नेचर के अभियान को लेकर उन्हें प्रोत्साहित भी किया ।

Atul Saxena
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Gwalior News : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पौधरोपण के लिए शुरू किये गए “एक पेड़ मां के नाम” अभियान को देश के लोग ही नहीं विदेशी भी सराह रहे हैं, ग्वालियर के एक प्राइवेट स्कूल में पहुंची दो विदेशी छात्राओं ने ना सिर्फ इस अभियान की तारीफ की बल्कि अभियान से प्रेरित होकर एक पौधा भी लगाया।

“एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत इन दिनों देशभर में पौधरोपण किया जा रहा है नेताओं सहित प्रकृति प्रेमी इसमें बढ़ चढ़ आकर हिस्सा ले रहे हैं, कार्यक्रम के तहत स्कूली बच्चों को भी जोड़ा जा रहा है और इस अभियान के माध्यम से उन्हें वृक्षों का महत्व और पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

लंदन की दो छात्राओं ने लिया अभियान में हिस्स, पौधा लगाया 

“एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत ग्वालियर के प्राइवेट निजी स्कूल ने ग्रीन डे मनाया, स्कूल प्रबंधन के बुलावे पर कार्यक्रम में शामिल होने यूके मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी लन्दन की दो छात्राएं एमिली और कोमी भी आई, उन्होंने बच्चों के साथ कार्यक्रम में हिस्सा लिया, पेड़ों का और पर्यावरण का महत्व समझाया और एक पेड़ मां के नाम नारा लगाते हुए स्कूल परिसर में एक पौधा भी लगाया।

एक पेड़ मां के नाम अभियान की तारीफ की 

विदेशी छात्राएं स्कूली बच्चों द्वारा प्रकृति पर्यावरण और वन संरक्षण के लिए बनाई गई कलाकृतियां और पेंटिंग देखकर आश्चर्यचकित रह गईं, उन्होंने बच्चों के सेव नेचर के अभियान को लेकर उन्हें प्रोत्साहित भी किया, मीडिया से बात करते हुए छात्राओं ने अभियान की बहुत सराहना की, उन्होंने कहा कि ये कांसेप्ट बहुत अच्छा है, इससे न सिर्फ पर्यावरण अच्छा होता है बल्कि प्रकृति का संतुलन भी सही रहता है।

Gwalior News : विदेशियों को भी प्रभावित कर रहा पीएम मोदी का "एक पेड़ मां के नाम" अभियान, लंदन की दो छात्राओं ने स्कूल में लगाया पौधा

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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