Gwalior News : जांच के नाम पर कमीशनखोरी, लैब कर्मचारी के बैग से मिले डॉक्टर्स के नाम लिखे बंद लिफाफे, जिम्मेदार कर रहे जांच की बात 

Atul Saxena
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Gwalior News : हम सभी ये बरसों से सुनते आये हैं कि मरीज की जांच के नाम पर पैथोलॉजी लैब डॉक्टर्स को मोटा कमीशन देती हैं, जितनी महंगी जांच या फिर जितना बड़ा डॉक्टर उतना ज्यादा उसका कमीशन। खास बात ये है कि बरसों से जारी ये खेल इतने गोपनीय तरीके से होता है कि किसी को भनक भी नहीं लगती लेकिन ग्वालियर में इसका खुलासा हो गया, पुलिस ने एक लैब के कर्मचारी के बैग की तलाशी ली तो उसमें डॉक्टर्स के नाम लिखे बंद लिफाफे थे जिसमें कमीशन की रकम थी, कर्मचारी के पास एक लिस्ट भी थी जिसमें डॉक्टर द्वारा मरीज की कराई गई जांचों का पूरा हिसाब किताब था। मामला खुलने के बाद सीएमएचओ ने इसकी जांच कराने की बात कही है।

पुलिस के गश्ती दल ने रोका लैब कर्मचारी को 

गौरतलब है कि बीती रात ग्वालियर पुलिस की टीम रुटीन गश्त पर थी, पुलिस को जयारोग्य अस्पताल परिसर में एक युवक बैग लिए दिखाई दिया, पुलिस को उसके हाव-भाव देखकर कुछ संदेह हुआ तो उसे रोका जिसपर वो हड़बड़ा गया, पुलिस ने जब उससे परिचय पूछा तो उसने खुद को समर्थ पैथोलॉजी लैब का कर्मचारी बताया।

लैब कर्मचारी के बैग में थे बंद लिफाफे 

उसकी हालत देखकर पुलिस का संदेह बढ़ गया, पुलिस ने बैग की तलाशी के लिए कहा तो वो न नुकुर करने लगा लेकिन पुलिस ने जब उसका बैग खोला तो उसमें स्टेपलर लगे बहुत सारे सफ़ेद लिफाफे थे जिनपर शहर के डॉक्टर्स के नाम थे, पुलिस ने कर्मचारी से लिफाफों की कहानी पूछी तो उसने जो कुछ कहा सुनकर पुलिस हैरान रह गई।

बंद लिफाफों पर लिखे थे डॉक्टर्स के नाम 

पुलिस ने जब लिफाफों को खोला तो उसमें तीन लाख 50 हजार रुपये निकले, कर्मचारी ने बताया कि वो डॉक्टर्स का कमीशन बाटने निकला है जो लैब मरीजों की जांच के बदले उन्हें देती हैं, बड़ी बात ये हैं कि लिफाफों में जिन डॉक्टर्स के नाम लिखे हैं उनमें प्राइवेट डॉक्टर्स के अलावा सरकारी डॉक्टर्स भी शामिल हैं।

CMHO ने बनाई दो जांच कमेटी 

एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने जब इस मामले में जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी यानि CMHO डॉ आर के राजौरिया से बात की तो उन्होंने कहा कि हमारे कार्यालय में समर्थ पैथोलॉजी नाम की कोई लैब नहीं हैं, ये खबर भी मीडिया के द्वारा ही हमारे संज्ञान में ये आई है, मैंने इस मामले की जाँच के आदेश दिए हैं दो सदस्यीय कमेटी इसकी जांच करेगी, पुलिस से भी इस मामले में सहयोग लिया जायेगा।

समर्थ नाम की कोई लैब CMHO ऑफिस में रजिस्टर्ड ही नहीं 

ये एक बड़ा सवाल है कि जिस लैब के कर्मचारी के बैग में पुलिस को पैसा और डॉक्टर्स के नाम लिखे लिफाफे मिले उस नाम की कोई रजिस्टर्ड लैब ग्वालियर में है ही नहीं, इसका मतलब एक तो ये है कि जिले में अवैध लैब संचालित हो रही हैं और CMHO कार्यालय ऑंखें बंद किये हुए है और दूसरी ये कि डॉक्टर्स ऐसी लैब से मरीजों की जांच करवा रहे है जो रजिस्टर्ड ही नहीं है इसमें निश्चित ही मोटे कमीशन का खेल है।

बहरहाल जिला प्रशासन के संज्ञान में भी ये बात आ गई है कलेक्टर से लेकर जयारोग्य अस्पताल के अधीक्षक डॉ आर के एस धाकड़ भी इस मामले में अपने अपने स्तर पर जांच का भरोसा दिला रहे है, देखना होगा कि मरीजों के नाम पर चल रही कमीशनखोरी के इस खेल में लैब और डॉक्टर्स के गठजोड़ प् र्क्य एक्शन होता है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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