Gwalior Trade Fair Authority: ग्वालियर व्यापार मेला उत्तर भारत में लगने वाले प्रसिद्द मेलों में से एक है, 100 साल से भी ज्यादा पुराने इस मेले को देश का पहला पक्का मेला होने का गौरव भी प्राप्त है। यानि ये ऐसा मेला है जहाँ स्थाई दुकानें हैं जो व्यापारियों को आवंटित की जाती हैं लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में बहुत से पक्की दुकानें और अन्य निर्माण जीर्ण शीर्ण हो गई हैं जिन्हें ठीक कराने की मांग ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह ने की है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से मुलाकात कर इस आशय का पत्र सौंपा है और 100 करोड़ रुपये की मांग की है।
समृद्धशाली विरासत समेटे मध्य प्रदेश की शान है ग्वालियर व्यापार मेला
भाजपा सांसद भारत सिंह कुशवाह ने भोपाल पहुंचकर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से मुलाकात की और ग्वालियर में व्यापार उद्योग को बढ़ावा देने के लिए किये जा रहे उनके प्रयासों के लिए आभार जताया। भारत सिंह कुशवाह ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि ग्वालियर का ऐतिहासिक व्यापार मेला एक समृद्धशाली विरासत समेटे ग्वालियर के साथ साथ मध्य प्रदेश की भी शान है।
यहाँ लगने वाला शिल्प बाजार और अन्य आयोजन विदेशी सैलानियों को भी आकर्षित करते हैं
इस मेले में देश भर के व्यापारी आते हैं, यहाँ हस्त करघा, कुटीर उद्योग, छोटे उद्योग धंधे से जुड़े व्यापारी आते हैं, यहाँ लगने वाला ऑटोमोबाइल मेला देश में प्रसिद्द और चर्चित है। मेले में शिल्पकला का प्रदर्शन होता है, कवि सम्मेलन, मुशायरा, फाग गायन जैसे पारंपरिक आयोजन भी होते हैं जो लोगों को आकर्षित करते हैं। यहाँ लगने वाला दस्तकारी हाट बाजार (शिल्प बाजार) देखने और खरीददारी करने विदेशी सैलानी भी आते हैं, मेले का हर साल का टर्न ओवर करोड़ों रुपये है।
सांसद भारत सिंह कुशवाह ने मेले की दुकानों के जीर्णोद्धार के लिए सीएम 100 करोड़ रुपये की मांग की
सांसद भारत सिंह ने मुख्यमंत्री को बताया कि करीब सवा सौ साल के नजदीक पहुंच रहे ग्वालियर व्यापार मेले में बनी स्थाई दुकानें और अन्य निर्माण जीर्ण शीर्ण हो चुके हैं जिनके जीर्णोद्धार की जरुरत है। उन्होंने इसके लिए 100 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने का अनुरोध किया है और इस आशय का एक पत्र भी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को सौंपा है।
मेला प्राधिकरण में कई वर्षों से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के पद हैं खाली, प्रशासन खुद करता है आयोजन
आपको बता दें कि इस समय ग्वालियर व्यापर मेला प्राधिकरण सीधा सरकार के नियंत्रण में है यानि संभाग आयुक्त, कलेक्टर की देखरेख में मेले का आयोजन हो रहा है और ये सिलिसिला पिछले कई वर्षों से चल रहा है। भाजपा नेता लंबे समय से मेले में नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं, शासन भी यहाँ अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियों से कतरा रहा है इसकी वजह स्थानीय बड़े नेताओं की सियासत है। अब ऐसे में सांसद भारत सिंह द्वारा मांगी गई 100 करोड़ की राशि पर मुख्यमंत्री क्या फैसला लेते हैं ये देखने वाली बात होगी।