सिंधिया ने प्रियंका को बताया मेहमान, बोले – जिन्होंने इतिहास नहीं पढ़ा वो आज बातें करते हैं, मुझे किसी को प्रमाणपत्र देने की जरूरत नहीं

Atul Saxena
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Jyotiraditya Scindia’s reply to Priyanka Gandhi : केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रियंका गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं द्वारा उन पर जन आक्रोश रैली में किये गए हमलों का बड़े ही शालीन तरीके से जवाब दिया, उन्होंने ना सिर्फ प्रियंका गांधी को मेहमान कह अबल्की कमल नाथ सहित मंच पर बैठे नेताओं को भी मेहमान कहा, उन्हें बार बार गद्दार कहने के सवाल पर सिंधिया ने कहा कि जिन्होंने इतिहास का एक पन्ना भी नहीं पढ़ा वे आज बोल रहे हैं, उन्होंने सवाल किया कि यदि इतनी ही चिंता थी तो फिर मेरे पिता जी और मुझे कांग्रेस में क्यों लिया?

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अज शनिवार को ग्वालियर में रोजगार मेले में हिस्सा लिया, उन्होंने स्वर्ण रेखा नाले पर अब दूसरे भाग की स्वीकृति मध्य प्रदेश की कैबिनेट ने दे दी है, जल्दी ही इसका टेंडर लगेगा और काम शुरू होगा, पहले भाग के कार्य की प्रगति को मैं खुद देख रहा हूँ।

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प्रियंका गांधी हमारी मेहमान, उनका स्वागत है : सिंधिया 

सिंधिया ने शुक्रवार को ग्वालियर में जन आक्रोश रैली में आई प्रियंका गांधी के दौरे के सवाल पर कहा कि वे हमारी मेहमान है , संभवतः पहली बार आई उनका स्वागत है सम्मान है, सत्कार है। सिंधिया ने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ और अन्य नेताओं का नाम लिए बिना कहा कि मंच पर जो दूसरे लोग थे, उनको ग्वालियर का बदलता हुआ सूरत खटक रहा है और शायद ही वे इसे देख पायें , वे भी पूर्व में ग्वालियर में केवल मेहमान की तरह आते थे, कार्यक्रम के बाद वापस चले गए अब शायद आप के जरिए ग्वालियर का बदलता हुआ दृश्य देख पाएं।

ग्वालियर के विकास को लेकर कांग्रेस से किये सवाल 

सिंधिया ने ग्वालियर में हो रही प्रगति और विकास का उदाहरण देते हुए कहा कि मैं आपसे प्रश्न करता हूँ, अगर कांग्रेस की सरकार होती तो क्या एयरपोर्ट संभव होता, क्या रेलवे स्टेशन संभव होता, क्या एलिवेटेड रोड संभव होता, क्या आईएसबीटी संभव होता, हजार बिस्तर का अस्पताल संभव होता? ये इसलिए संभव हो पाया है कि  सीएम शिवराज सिंह चौहान की सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार विकास एवं प्रगति पर केंद्रित है।

गद्दार कहने पर बोले सिंधिया – जिन्होंने इतिहास का एक पन्ना नहीं पढ़ा आज वे बोल रहे हैं 

वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की शहादत के बहाने सिंधिया और उनके परिवार को कांग्रेस द्वारा गद्दार कहने के सवाल पर सिंधिया ने कहा जो उनकी भूमिका है वह निभाएंगे, अरे जिन्होंने  इतिहास का एक पन्ना भी नहीं पढ़ा है  उनको जो कहना है कहने दो, मेरा करम, मेरी सोच, मेरी विचारधारा, मेरे परिवार की सोच ग्वालियर के प्रति समर्पित हैं, संभाग के प्रति समर्पित है, मध्य प्रदेश के लिए समर्पित है, देश के लिए समर्पित है।

कांग्रेस पर हमला – मेरे पिताजी, मुझे कांग्रेस में क्यों लिया?

सिंधिया ने बड़े तल्ख़ लहजे में कहा कि मुझे किसी को भी, खास करके मंच पर जो लोग बैठे हुए थे उन्हें अपना प्रमाण पत्र देने की जरूरत नहीं है, सिंधिया ने कांग्रेस से सवाल करते हुए कहा कि यदि उनको इतनी चिंता थी तो मेरे पिताजी को कांग्रेस ने क्यों लिया?  मुझे कांग्रेस में क्यों लिया? अब सब आंखों में खटक रहा है, जो भी दुर्भावना है, मुंह से प्रकट हो रही है,  मैंने कभी भी व्यक्तिगत राजनीति नही की है और ना मैं करूंगा, उनको उनकी सोच सलामत,  मैं उसी आधार पर काम करूंगा जिस रास्ते पर मेरी आजी अम्मा (दादी) और मेरे  पिताजी चले।

कांग्रेस के जीत के दावों पर जवाब- उप चुनाव के नतीजे देख ले, कांग्रेस बेस खो चुकी है  

ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस के बड़े अंतर से जीत के दावों पर सिंधिया ने कहा कि उनका उत्साह उन्हें मुबारक,  उपचुनावों का हवाला देते हुए केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा कि उन्होंने स्वयं देख लिया उपचुनाव में जनता ने क्या निर्णय लिया? वर्तमान में ग्वालियर चंबल अंचल की अधिकतम सीट भारतीय जनता पार्टी के पास हैं,  उपचुनाव में कांग्रेस ने अपना पूर्ण बेस समाप्त कर दिया, ग्वालियर चंबल अंचल में जो कांग्रेस 26 सीट पर थी आज 16 सीट पर टिक चुकी हैं। आप किस भाव की आप बात कर रहे हैं उनको उनका भाव मुबारक, जनता मेरी भगवान है जो जनता निर्णय लेगी वह सिर माथे, हम अपने धर्म और कर्म के मार्ग पर चलेंगे विकास और प्रगति के रास्ते पर चलेंगे।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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