जब ‘गरम’ नहीं तो क्यों कहलाता है गरम मसाला, जानिए गरम मसाले के गुण, आयुर्वेद के अनुसार लाभ

भारत के अलग-अलग राज्यों में गरम मसाले की सामग्री बदलती रहती है। जैसे बंगाल में पंचफोरन (राई, मेथी, कलौंजी, सौंफ और जीरा) का उपयोग ज्यादा होता है, जबकि कश्मीर और पंजाबी गरम मसाले में तेजपत्ता, जायफल और जावित्री का अधिक प्रभाव होता है। आयुर्वेद में गरम मसाले को संतुलन बनाने वाला माना गया है। सही अनुपात में उपयोग से ये वात, पित्त और कफ दोषों को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। हमारे यहां पुराने समय से गरम मसाले को सर्दी-खांसी, अपच, सिरदर्द और शरीर की अकड़न दूर करने के लिए कई तरह के घरेलू नुस्खों में भी उपयोग किया जाता है।

Shruty Kushwaha
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Garam Masala benefits : गुलाब जामुन में गुलाब नहीं होता..और गरम मसाला गरम नहीं होता। फिर क्यों इन चीजों के ऐसे नाम पड़े हैं। आज हम जानेंगे कि गरम मसाले को आखिर गरम मसाला क्यों कहते हैं। दरअसल, गरम मसाला को “गरम” मसाला इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह मसालों का ऐसा मिश्रण होता है, जो शरीर में ऊष्मा (गर्मी) बढ़ाने और पाचन को सक्रिय करता है।

गरम मसाला एक सुगंधित और शक्तिशाली मसालों का मिश्रण होता है। जिसमें कई अलग अलग प्रकार के मसाले मिले होते हैं। इसकी सामग्री में आमतौर पर जीरा, धनिया, काली मिर्च, लौंग, दालचीनी, तेजपत्ता, जायफल, जावित्री, हरी इलायची, काली इलायची, सोंठ और कश्मीरी मिर्च शामिल होते हैं। हालांकि, अलग अलग जगहों पर स्वाद और स्थानीय परंपरा, उपलब्धता के आधार पर इन सामग्रियों में कुछ तब्दीली आ जाती है।

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क्यों कहते हैं ‘गरम मसाला’

जब भी खाने का स्वाद बढ़ाना हो..हमें गरम मसाला याद आता है। अगर नमकीन में कुछ विशेष व्यंजन बन रहा है तो गरम मसाला उसके स्वाद को बढ़ाने में बड़ा रोल निभाता है। लेकिन इसका काम सिर्फ स्वाद बढ़ाना ही नहीं है। आयुर्वेद में गरम मसाले को एक महत्वपूर्ण मसाला मिश्रण माना गया है। ये भोजन का स्वाद बढ़ाने के साथ स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार, गरम मसाले का ये इसलिए पड़ा है क्योंकि ये शरीर को गर्मी प्रदान करने और पाचन अग्नि को सुधारने की क्षमता रखता है। हजारों वर्ष पुरानी आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्राकृतिक उपचार की नींव पाचन अग्नि है। आयुर्वेद के अनुसार, गरम मसाले में शामिल मसाले उष्ण वर्ण (गर्म प्रकृति) के होते हैं, जो शरीर में अग्नि (पाचन शक्ति) को तेज करने और कफ दोष को कम करने में मदद करते हैं।

स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी

आयुर्वेद में गरम मसाले के कई लाभ बताए गए है। ये पाचन तंत्र में सुधार, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, शरीर को गर्म रखने, मेटाबॉलिज्म तेज करने, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होने, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने, दिमाग और मूड के लिए लाभकारी होने जैसे कई लाभ देता है।

गरम मसाले में शामिल मसाले जैसे काली मिर्च, लौंग, इलायची, दालचीनी, जायफल, तेजपत्ता आदि शरीर की मेटाबॉलिक दर (चयापचय) को बढ़ाते हैं और शरीर में गर्मी उत्पन्न करने में सहायक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, गरम मसाले का सेवन शरीर के तापमान को बढ़ाता है जिससे चयापचय में वृद्धि होती है। यह पाचन की कमी को ठीक करता है और शरीर में विषाक्त पदार्थों के निर्माण को भी रोकता है। कहा जाता है कि गरम मसाला भोजन में छह प्रकार के स्वाद लाता है।

संतुलित मात्रा में करें सेवन

हालांकि गरम मसाले का सेवन संतुलित मात्रा में किया जाना चाहिए। इसके अधिक उपयोग से शरीर में अधिक गर्मी उत्पन्न हो सकती है, जिससे एसिडिटी या पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। गर्मियों में इसे कम मात्रा में खाना चाहिए और हाइपरटेंशन या पेट के अल्सर जैसी समस्याओं से पीड़ित लोगों को इसे सावधानी से इस्तेमाल करना चाहिए। ताजा पिसा हुआ गरम मसाला अधिक प्रभावी होता है, क्योंकि समय के साथ इसकी सुगंध और औषधीय गुण कम हो सकते हैं। वहीं, अगर किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या हो तो इसके सेवन से पहले चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लेना चाहिए।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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