Kartikeya Swami Temple MP Gwalior : आज कार्तिक पूर्णिमा है, शास्त्रों में इस दिन का बहुत महत्व माना गया है, लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, दीपदान करते हैं, नदियों को चुनरी भेंट करते हैं, कुछ लोग आज भगवान शिव की पूजा करते हैं तो कुछ लोग भगवान् विष्णु की, आज ही के दिन देव दीपावली भी मनाई जाती है अर्थात मान्यता है कि आज के दिन यानि कार्तिक पूर्णिमा के दिन की गई पूजा व्यर्थ नहीं जाती, देवताओं के साथ पवित्र नदियों, प्रकृति सबका आशीर्वाद मनुष्य को मिलता है, लेकिन आज का दिन भगवान स्वामी कार्तिकेय का भी दिन है, इस खबर में हम आपको स्वामी कार्तिकेय से जुड़ी एक कथा बताएँगे और साथ ही एमपी के एकलौते कार्तिकेय स्वामी मंदिर के दर्शन कराएँगे जो साल में केवल एक ही दिन खुलता है।
एमपी के ग्वालियर में स्थित है कार्तिकेय स्वामी मंदिर
कार्तिक पूर्णिमा को भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े बेटे कार्तिकेय के जन्म दिन के रूप में भी देश में मनाया जाता है, इस दिन मध्य प्रदेश के इकलौते और करीब 400 साल पुराने मंदिर के पट खुलते हैं और भगवान कार्तिकेय सबको दर्शन देते हैं, ग्वालियर के जीवाजीगंज में स्थित इस मंदिर पर सिर्फ मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ से ही नहीं महाराष्ट्र , राजस्थान सहित कई राज्यों से भी दर्शनार्थी आते हैं।
कार्तिकेय और गणेश जी में छिड़ी थी एक बहस
कार्तिकेय स्वामी साल में केवल एक दिन ही दर्शन क्यों देते है? इसकी एक कथा प्रचिलित है , पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि एक बार बाल्यावस्था में कार्तिकेय और गणेश के बीच बुद्धि और शक्ति को लेकर बहस छिड गई , दोनों भगवान शिव और माता पार्वती के पास पहुँच गए और उनसे प्रश्न किया पहले तो शिव – पार्वती ने उन्हें समझाया लेकिन जब नहीं माने तो उन्होंने कहा कि तुम दोनों में जो कोई भी अपने वाहन पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा कर लौट आएगा वो ही विजयी होगा।
माता पिता की बात सुनकर कार्तिकेय मयूर पर बैठकर उड़ गए
माता पिता की बात सुनकर बड़े बेटे कार्तिकेय अपने वाहन मयूर (मोर) पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए लेकिन गणेश अपनी सवारी चूहे के साथ वहीँ खड़े रहे फिर कुछ देर सोचने के बाद उन्होंने शिव- पार्वती की परिक्रम की और वहीँ बैठ गए, जब कार्तिकेय लौटकर आये और वहां गणेश को प्रसन्न मुद्रा में देखा, कारण पूछने पर शिव-पर्वती ने बताया कि गणेश ने हम दोनों की परिक्रमा कर ली और वो ही विजेता है क्योंकि शास्त्र कहता है कि माता पिता की परिक्रमा तीनों लोकों की परिक्रमा के समान है जबकि पृथ्वी तो उसका एक हिस्सा मात्र है।
गणेश जी की विजयी होने से कार्तिकेय नाराज हो गए और खुद को श्राप दे दिया
शिव और पार्वती की बात सुनकर कार्तिकेय नाराज हो गए और कुपित होकर उन्होंने कह दिया कि मैं कैलाश छोड़कर जा रहा हूँ उन्होंने खुद को श्राप दे दिया कि अब से कोई भी मेरा चेहरा नहीं देखेगा, यदि स्त्री ने चेहरा देखा तो सात जन्मों तक उसे विधवा का संताप झेलना होगा और जो पुरुष मेरे दर्शन करेगा तो वो सात जन्मों तक नरक का भागीदार होगा, इतना कहकर कार्तिकेय दक्षिण दिशा की तरफ निकल गए।
देवताओं के बहुत मनाने पर कार्तिकेय ने श्राप में संशोधन किया
कार्तिकेय के इस श्राप से सिर्फ शंकर पार्वती ही नहीं देवता भी परेशान हो गए, सभी ने कार्तिकेय को मनाने और श्राप वापस लेने का निवेदन किया , बहुत मनाने पर कार्तिकेय गुफा से बाहर आये और कहा कि आप लोग इतना अनुरोध कर रहे हैं तो मैं केवलएक दिन मेरे जन्मदिन पर कार्तिक पूर्णिमा पर अपने दर्शन करने के लिए उपलब्ध रहूँगा साल में बाकि दिन कोई मेरे दर्शन करेगा तो उसे श्राप लगेगा।
कार्तिकेय के इच्छा के अनुरूप केवल साल में एक दिन कार्तिक पूर्णिमा को उनके दर्शन का विधान है
इसलिए कार्तिक स्वामी के दर्शन केवल कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन ही करने का विधान है , ग्वालियर के जीवाजीगंज स्ठित कार्तिक स्वामी के करीब 400 साल पुराने मंदिर के पट बीती रात 12 बजे खोल दिए गए सुबह भगवान कार्तिकेय का अभिषेक किया गया उनकी पूजा अर्चना पर भोग प्रसादी लगाई गई फिर मंदिर को दर्शनों के लिए खोल दिया गया।
ग्वालियर के कार्तिकेय स्वामी मंदिर पर दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं
इस मंदिर पर दूर दूर से लाखों श्रद्धालु आते हैं, आस्था और विश्वास से भरे लोग मानते हैं कि भगवान कार्तिकेय स्वामी के दर्शनों से ना सिर्फ उनके कष्ट दूर होते हैं बल्कि उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती है, हमारी भी कार्तिकेय स्वामी से विनती है कि ऐसे ही अपने भक्तों पर कृपा बनाये रखें ।
ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट