न्यायालय खोलने की मांग को लेकर वकीलों का धरना, बोले-आर्थिक हालात बहुत खराब

Pooja Khodani
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना

कोरोना (Corona) में लगाए गए लॉकडाउन (Lockdown) से अब न्यायालयों में पैरवी करने वाले वकीलों की हालत खराब होने लगी है। बार बार निवेदन करने के बाद सरकार न्यायालय खोलने के निर्देश नहीं दे रही जिससे परेशान होकर बुधवार को वकीलों ने जिला न्यायालय के बाहर एक दिवसीय सांकेतिक धरना दिया।

उच्च न्यायालय अभिभाषक संघ (High Court Advocates Association) के बैनर तले ग्वालियर के वकीलों ने आज सरकार और उसके प्रतिनिधियों से नाराजगी जताते हुए जिला न्यायालय के बाहर इंदरगंज चौराहे के पास धरना दिया। वकीलों का कहना है कि कोरोना के कारण पांच महीने से न्यायालय बंद हैं जिसके चलते 90फीसदी वकीलों के सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। इतना ही नहीं इस दौरान दो वकीलों का आसामयिक निधन भी हो चुका है।

वकीलों का यह भी कहना है कि जब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तो न्यायालय को सिर्फ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के भरोसे क्यों छोड़ा जा रहा है। वहां भी सीमित दायरे में कार्रवाई शुरू की जा सकती है। क्योंकि अधिकांश वकील ऐसे हैं जो रोजाना कमाते हैं और खाते हैं सिर्फ 10 फ़ीसदी वकील ही साधन संपन्न है । वकीलों का दर्द है कि उन्होंने कोर्ट की कार्रवाई को नियमित कराने के लिए प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश एवं मुख्यमंत्री सहित केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को दो बार मांग पत्र भेजा है। लेकिन किसी ने भी उनकी सुनवाई नहीं की है। वकीलों ने बताया कि ग्वालियर बार के लिए दो करोड़ रुपए की सहायता राशि मंजूर करने की भी शासन से मांग की गई है ताकि वकीलों को 10 -10 हजार की आर्थिक सहायता दी जा सके। फिलहाल वकील जिला न्यायालय के बाहर एक दिवसीय धरने पर बैठे हैं ।उनका कहना है कि अभी भी सरकार ने उनकी सुनवाई नहीं की तो वे धरना प्रदर्शन को नियमित करने पर विचार करेंगे।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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