Ukraine से वापस लौटी एमपी की बेटी, चेहरे पर खुशी, दोस्तों की चिंता में छलके आंसू

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्द (Russsia Ukraine War) ने उन लोगों की सांसें रोक दी हैं जिनके बच्चे वहां पढ़ रहे हैं या जिनके परिजन वहां रहते हैं। हालाँकि सरकार भारतीयों की वापसी के हरसंभव प्रयास कर रही है इस बीच यूक्रेन से उड़ने वाली आखिरी फ्लाइट से ग्वालियर वापस लौटी आफरीन अपने वतन आकर खुश है लेकिन उसे अपने दोस्तों की चिंता सता रही है, परेशान आफरीन के आंसू नहीं थम रहे।

यूक्रेन के शहर सुमी की स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में ग्वालियर (Gwalior News) के भी कुछ बच्चे मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। बढ़ते तनाव के बीच कुछ परिजनों ने अपने बच्चों के टिकट कराये और ग्वालियर वापसी का इन्तजार करने लगे। ग्वालियर के घोसीपुरा में रहने वाली आफरीन 2016 से मेडिकल की पढ़ाई कर रही है उसके अंतिम वर्ष के फ़ाइनल एक्जाम जून में होने हैं। पिता आरिफ खान ने बेटी की वापसी का टिकट कराया और उसे बुलवा लिया।

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आफरीन जब गुरुवार को दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची तब उसे पता चला कि रूस ने हमला कर दिया है। चिंता में डूबी आफरीन जम्मू जबलपुर एक्सप्रेस से गुरुवार रात ग्वालियर पहुंची। परिजनों  देखते ही उसे गले लगा लिया हाल फूलों से स्वागत किया।  मीडिया ने जब आफरीन से बात की तो उसने अपने सुरक्षित वापस आने की ख़ुशी जताई लेकिन अपने दोस्तों के फंसे होने की चिंता उसके चेहरे पर दिखाई रही थी, उसके आंसू नहीं रुक रहे।

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आफरीन के मुताबिक करीब 10 हजार लोग अभी यूक्रेन में फंसे हैं और जिस सुमी स्टेट यूनिवर्सिटी में पढ़ती हैं वहां करीब 500-600 स्टूडेंट्स हैं, ग्वालियर के भी तीन चार स्टूडेंट्स हैं। जिनकी अब उसे बहुत चिंता है। आफरीन बताती हैं कि हालात अभी चिंताजनक हैं, कह अजा रहा है कि बंकर्स में जाने की स्थति बन सकती है, स्टूडेंट 10-12 दिन का खाना सामान साथ ले लें, लाइट भी कट सकती है। आफरीन ने सरकार से गुजारिश की हैं उन्हें जल्दी से जल्दी बुला लिया जाये।

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आफरीन के पिता आरिफ खान भी बेटी के वापस आने से खुश हैं लेकिन उन्हें भी दूसरे बच्चों की चिंता सता रही हैं।  उनका कहना है कि जिस फ्लाइट से आफरीन आई उसके बाद की सभी फ्लाइट कैंसिल हो गई, हमें हालात का अंदेशा था लेकिन यदि ये पता होता कि हालात इतने ख़राब हो जायेंगे तो मैं ग्वालियर के दूसरे बच्चों को भी बेटी वाली फ्लाइट से ही जल्दी बुलावा लेता।

बच्चों के परिजन कर रहे सलामती की दुआ 

उधर यूक्रेन से MBBS की पढ़ाई कर रहे ग्वालियर के छात्र पीयूष सक्सेना, शांतनु बामनगया, पुखराज सिंह सहित अन्य बच्चों का परिवार भी चिंता में डूबा हुआ है। इन परिवारों के दिन रात टीवी और सोशल मीडिया की ख़बरों पर हैं। एक एक पल जैसे वर्षों के बराबर लग रहा है।  सभी परिजन अपने बच्चों की सलामती की दुआ कर रहे हैं।

Ukraine से वापस लौटी एमपी की बेटी, चेहरे पर खुशी, दोस्तों की चिंता में छलके आंसूUkraine से वापस लौटी एमपी की बेटी, चेहरे पर खुशी, दोस्तों की चिंता में छलके आंसूUkraine से वापस लौटी एमपी की बेटी, चेहरे पर खुशी, दोस्तों की चिंता में छलके आंसू

 

बच्चों ने रात बंकर में गुजारी 

पीयूष सक्सेना के पिता तरुण सक्सेना ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ को मोबाइल पर बताया कि उनका नेता सुमी स्टेट यूनिवर्सिटी से MBBS कर रहा है, हम लोग परेशान हैं लेकिन हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  और भारत सरकार पर भरोसा है कि वे हमारे बच्चे को सुरक्षित वापस ले आएंगे। उन्होंने बताया कि वे लगातार बेटे के संपर्क में हैं, उसने बताया है कि रूस की सेना ने सुमी पर कब्जा कर लिया है, सभी स्टूडेंट्स ने रात बंकर में गुजारी अब सुबह वे अपने हॉस्टल पहुँच गए हैं।  यहाँ रूस की सेना घूम रही है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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