ग्वालियर। ग्वालियर चम्बल संभाग के मीसाबंदियों यानि लोकतंत्र सैनानियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए उन्हें आपातकाल का शिल्पकार बताया और सम्मान निधि पर रोक लगाने के आदेश को तुगलकी फरमान, अलोकतांत्रिक एवं अवैधानिक बताया । ग्वालियर में महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि के सामने मैदान में मीसाबंदियों ने गुरुवार को धरना दिया । धरने में बहुत से मीसाबंदियों की विधवाएं भी शामिल हुई।
लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय सयुंक्त सचिव मदन बाथम ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के चित्र पर माल्यार्पण कर धरने का शुभारंभ किया ।अध्यक्षता शिक्षाविद जगदीश तोमर, संचालन मोहन विटवेकर तथा ज्ञानप्रकाश गर्ग ने आभार व्यक्त किया.लोकतंत्र सेनानी पूरे समय जोशखरोश के साथ कमलनाथ सरकार के विरुद्ध नारेबाजी करते रहे। वक्ताओं ने जहाँ एक ओर आपातकाल में हुयी लोकतंत्र की हत्या के बारे में विस्तार से बताया, वहीं दूसरी ओर लोकतंत्र सेनानियों ने आपातकाल के दौरान जेलों में बिताये पलों को शेयर किया। लोकतंत्र सैनानियों ने कहा कि कमलनाथ अभी विधानसभा के सदस्य नहीं हैं। 6 माह में उनको विधानसभा का चुनाव लड़कर जीतना जरूरी है। इस मौके पर उपचुनाव में कमलनाथ को सबक सिखाने का लोकतंत्र सेनानियों ने संकल्प लिया।
धरने में शामिल सर के पी सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश लोकतंत्र सेनानी सम्मान अधिनियम-2018 विधानसभा से पारित है होकर महामहिम राज्यपाल द्वारा अनुमोदित है. उपसचिव के सामान्य परिपत्र द्वारा सम्मान निधि को रोका नहीं जा सकता। यह कानून का सरे राह उल्लंघन है। दरअसल यह मध्यप्रदेश में “गुप्त रुप” से आपातकाल लगाने का प्रयोग है|
संगठन के नेता मदन बाथम ने कानूनी कार्यवाही करने के लिये सर के पी सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करते हुए कहा कि सम्मान निधि रोकने के अवैधानिक आदेश के संबंध में कमलनाथ सरकार को अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस दे दिया गया है। प्रदेश उपाध्यक्ष मोहन विटवेकर ने प्रदेश के एक नयेनवेले मंत्री द्वारा लोकतंत्र सेनानियों को “गुंडा-बदमाश” बताये जाने पर संगठन की ओरसे FIR करवाने की घोषणा की। धरने में बड़ी संख्या में भाजपा नेता भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि सम्मान निधि रोके जाने की ये पहली घटना है जो हास्यास्पद है। भाजपा नेताओं ने इसे कमलनाथ का डेथ वारंट बताया। धरने को ग्वालियर चम्बल संभाग से आये संघ के पदाधिकारियों ने संबोधित किया । अंत में संगठन के द्वारा कलेक्टर की ओर से धरनास्थल पर आये एसडीएम के के गौड़ को राज्यपाल के नाम से ज्ञापन दिया गया|