ग्वालियर। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ के निशाने पर आई तीन नगर निगमों में ग्वालियर नगर निगम भी शामिल है। सरकार के निर्देश पर भोपाल से आई तीन सदस्यीय टीम ने योजनाओं के रिकॉर्ड खंगाले और दस्तावेज लेकर वापस चले गए।
केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के पैसे का सही इस्तेमाल हुआ कि नहीं इस बात की जांच करने भोपाल से नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय के अपर आयुक्त विकास मिश्रा, अधीक्षण यंत्री सुरेश सेजवार और कनिष्ठ लेखाधिकारी प्रमोद नायक बीते रोज ग्वालियर आये । और उन्होंने दो दिनों तक रिकॉर्ड चेक किया। उनकी मदद के लिए आयुक्त विनोद शर्मा ने अपर आयुक्त आरके श्रीवास्तव और अपर आयुक्त वित्त देवेद्र पालिया को नियुक्त किया। भोपाल से आई टीम ने एकाउंट, स्टोर सहित सभी विभागों को देखा और पिछले चार साल में हुए कार्यों के कागजात इकठ्ठा किये।
दरअसल पिछले कई वर्षों से कांग्रेस के नेता लगातार सरकार से ग्वालियर नगर निगम द्वारा योजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत करते रहे है लेकिन भाजपा की सरकार ने भाजपा की नगर निगम की कोई जांच नहीं करवाई । अब नई सरकार ने जो जांच टीम भेजी है वो 16 बिन्दुओं पर जांच कर रही है। इसमें स्मार्ट सिटी योजना,अमृत योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, जनसंपर्क विभाग, भवन निर्माण, आर्थिक सहायता वितरण, सांस्कृतिक आयोजन सहित कुल 16 बिंदु शामिल है। गौरतलब है कि ग्वालियर में 2300 करोड़ से स्मार्ट सिटी के और 772 करोड़ से अमृत योजना के काम चल रहे हैं।
जाँच करने आई टीम को नेता प्रतिपक्ष कृष्ण राव दीक्षित ने अनियमितता के कुछ दर्स्तावेज भी सौंपे हैं। जिनमें 2010 से 2015 के बीच बिना परिषद् की मंजूरी लिए आर्थिक सहायता राशी बांटे जाने के दस्तावेज दिए। इस मामले में तत्कालीन महापौर समीक्षा गुप्ता के साथ तत्कालीन निगमायुक्त एनबीएस राजपूत, वेदप्रकाश और विनोद शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त में जांच चल रही है। दीक्षित ने टीम को बताया कि 2010 से पहले और 2015 तथा 2016 में भी अनियमितताएं हुई हैं । पहले और वर्तमान महापौर विवेक नारायण शेजवलकर रहे हैं इसलिए इनकी भी जांच होनी चाहिए। उन्होंने 2015 में नव संवत्सर कार्यक्रम में भी वित्तीय अनियमितता की शिकायत से जुड़े दस्तावेज जांच टीम को सौंपे।
जांच टीम दो दिनों में दस्तावेज इकठ्ठा कर वापस भोपाल लौट गई। नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय अपर आयुक्त विकास मिश्रा ने बताया कि वो अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यालय में आयुक्त को सौपेंगे।