वेतन और बोनस नहीं मिलने से आक्रोशित ग्वालियर अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल समूह के कर्मचारी हड़ताल पर

बहुत दिन पहले आधा वेतन मिला था अब दूसरा महीना पूरा होने वाला है लेकिन पिछले महीने का ही वेतन नहीं मिला अब कैसे दिवाली मनाएंगे?

Atul Saxena
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Gwalior JAH employees strike

Gwalior JAH employees strike: ग्वालियर अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जयारोग्य अस्पताल समूह के कर्मचारी आज छोटी दिवाली पर हड़ताल पर चले गए हैं कर्मचारी इस बात से नाराज और आक्रोशित हैं कि उन्हें दिवाली पर सैलरी और बोनस कुछ भी नहीं मिला, हड़ताली कर्मचारियों में सुरक्षा गार्ड, वार्ड बॉय, स्ट्रेचर बॉय शामिल हैं ये सभी आउटसोर्स कर्मचारी है, हड़ताल के चलते अस्पताल प्रबंधन की चिंता बढ़ गई है।

ग्वालियर चंबल संभाग के आठ जिलों सहित पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मरीजों का इलाज करने वाले जयारोग्य अस्पताल समूह के अस्पतालों के आउट सोर्स कर्मचारी आज अचानक हड़ताल पर चले गये हैं, ये कर्मचारी एंजिल कंपनी के कर्मचारी हैं जिसे जयारोग्य अस्पताल समूह ने ठेका दिया है। हड़ताल पर गए वार्ड बॉय, स्ट्रेचर बॉय और गार्ड आदि ने कहा कि कंपनी ने हमें दिवाली पर न सैलेरी दी और ना ही बोनस दिया है हम अब अपना घर कैसे चलायें, दिवाली कैसे मनाएं? हम यहाँ चार साल से काम कर रहे हैं कंपनी को हमारा ध्यान रखना चाहिए।

पिछले महीने आधा वेतन आया, इस महीने बोनस भी नहीं मिला कैसे दिवाली मनाएं 

स्ट्रेचर बॉय के रूप में काम करने वाले अमजद खान का कहना है कि हम लोग गरीब लोग हैं, यहाँ ज्यादातर लोगों को नौ हजार रुपये सैलरी मिलती है, लेकिन हम लोगों को बहुत दिन पहले आधा वेतन मिला था अब दूसरा महीना पूरा होने वाला है लेकिन पिछले महीने का ही वेतन नहीं मिला अब कैसे दिवाली मनाएंगे? मकान मालिक किराया मांग रहे हैं, दूध का बिल देना है, त्योहार पर घर में राशन नहीं है, बच्चों की पढ़ाई का खर्चा है क्या करें मजबूरी में हड़ताल करना पड़ी है।

डीन को भरोसा जल्दी सब कर्मचारी वापस कम पर लौट आएंगे

हड़ताल की सूचना मिलने पर जीआर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ आरकेएस धाकड़ मौके पर पहुंचे उन्होंने कम्पनी के अधिकारियों से बात की और फिर हड़ताली कर्मचारियों से बात की। उन्होंने कहा कि इनका घर इसी वेतन से चलता है, मैनेजर ने कहा है कि 15 नवम्बर तक इनका वेतन क्लीयर हो जाएगा, लेकिन बोनस को लेकर विवाद है इसके लिए भी वे बात कर रहे है , डॉ धाकड़ ने कहा कि ज्यादातर कर्मचारी मान गए हैं वे सीधे लोग हैं लेकिन कुछ लोग हैं जो इन्हें बरगला रहे हैं, उम्मीद है जल्दी ही सब काम पर लौट आएंगे।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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