ग्वालियर। पिछले कुछ दिनों से गुमसुम रह रही प्रदेश की सबसे उम्रदराज शेरनी “रानी” का ग्वालियर के गांधी प्राणी उद्यान यानि चिड़ियाघर में 24 साल की उम्र में बुधवार को निधन हो गया। वन विभाग के अधिकारियों की देखरेख में चिड़ियाघर में ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसी के साथ गांधी प्राणी उद्यान में बीते 18 साल से दहाड़ रही “रानी” की दहाड़ हमेशा के लिए बंद हो गई।
“रानी” ने पिछले लगभग एक सप्ताह से खाना पीना छोड़ दिया था। चिड़ियाघर प्रबंधन ने गत दिवस जबलपुर से वन्यप्राणी विशेषज्ञ को बुलाकर “रानी ” का चेकअप भी करवाया था । “रानी” को सन 2000 में लखनऊ के चिड़ियाघर से ग्वालियर गांधी प्राणी उद्यान लाया गया था, तब उसकी उम्र लगभग 6 साल थी और वो पिछले 18 वषों से चिड़ियाघर आने वाले सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी। पिछले कुछ दिनों से “रानी” गुमसुम रहने लगी थी उसने खाना पीना छोड़ दिया था। वो चलने फिरने में लाचार हो गई थी। उसे दिखाई देना कम हो गया था। चिड़ियाघर प्रबंधन ने बीती 4 जनवरी को जबलपुर से वन्यप्राणी विशेषज्ञ डॉ एबी श्रीवास्तव को बुलाकर “रानी” का चेकअप कराया था। चेकअप के बाद डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि रानी बीमार नहीं है। उन्होंने “रानी” की डाइट में चेंज किया था उसमे दूध और अंडे के साथ मल्टी विटामिन्स और सप्लीमेंट्स शामिल किये गए थे। उसके बाद से यही डाइट “रानी” को दी जा रही थी लेकिन वो इसे भी पूरी तरह नहीं ले रही थी। चिड़ियाघर प्रभारी डॉ. उपेंद्र यादव “रानी” पर विशेष नजर रख रहे थे।
डॉ श्रीवास्तव ने बताया था कि सामान्य तौर पर शेर की औसत आयु जंगल में 12 से 14 साल होती है और चिड़ियाघर में ये 18 से 21 साल तक जीवित रह सकते हैं लेकिन “रानी” 24 साल की हो चुकी है। और वो बोनस में चल रही है। उन्होंने ” रानी” की 24 वर्ष आयु को लेकर ग्वालियर चिड़ियाघर प्रबंधन की प्रशंसा भी की थी। लेकिन उसके बाद भी ” रानी” को बचाया नहीं जा सका। आज दिन में वन विभाग के अधिकारियों की देखरेख में उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।