Pathan Movie Controversy : “पठान” की रिलीज से भड़के बजरंग दल के कार्यकर्ता सड़कों पर, सिनेमाघरों को फूंकने की चेतावनी

Atul Saxena
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Pathan Movie Controversy : शाहरुख़ खान की फिल्म पठान आज देश में रिलीज हो गई और रिलीज होते ही बजरंग दल सहित अन्य हिंदूवादी संगठनों का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुंच गया, पूरे देश सहित ग्वालियर में भी बजरंग दल के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर गए हैं। फिल्म का पहला शो शुरू होते ही कार्यकर्ताओं ने सड़क को जाम कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, बजरंग दल कार्यकर्ता  फिल्म के शो को बंद करने की जिद पर अड़े हैं, उनका कहना है कि आज हम अनुरोध कर रहे हैं लेकिन यदि फिर भी प्रशासन ने फिल्म को चलने दिया तो हम फिर उन सिनेमाघरों को आग के हवाले कर देंगे।

शाहरुख़ खान और दीपिका पादुकोण के किल्म “पठान” का विरोध थम नहीं रहा है, लगातार चेतावनी के बाद भी जब आज फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई तो बजरंग दल के कार्यकर्ता भड़क गए, ग्वालियर शहर में  “पठान” तीन मल्टीप्लेक्स और तीन सिंगल स्क्रीन थिएटर (सिनेमाघरों)  में लगी है।

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बजरंग दल के कार्यकर्ता आज फिल्म का पहला शो शुरू होते ही फूलबाग रोड पर डीडी मॉल स्थित मल्टीप्लेक्स  के बाहर इकठ्ठा हो गए और सड़कों पर जाम लगा दिया, कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस का भारी फ़ोर्स वहां पहुंच गया और कार्यकर्ताओं को समझाने की कोशिश करने लगा लेकिन बजरंग दल के कार्यकर्ता फिल्म का शो बंद कराने की जिद पर अड़े रहे।

बजरंग दल के प्रान्त सह संयोजक मनोज रजक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अभी हमने बताकर प्रदर्शन किया है लेकिन प्रशासन फिल्म को चलने दे रहा है, लेकिन अब हम जिन सिनामघरों में फिल्म चलते मिली वहां बिना सूचना के पहुंचकर उसे आग के हवाले कर देंगे उसका नक्शा बदल देंगे।

उधर बजरंग दल के विरोध को देखते हुए किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने की तैयारी पुलिस ने की है, एडिशनल एसपी मोती उर रहमान ने कहा कि हम कार्यकर्ताओं को समझाइश दे रहे हैं, हमारी प्राथमिकता रास्ता खुलवाना है, लेकिन यदि किसी ने भी कानून हाथ में लेने की कोशिश की तो उसके खिलाफ फिर कड़ी क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी, पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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