आश्रम में भर्ती अपने मित्र से दिवाली मिलने गए पुलिस अफसर, पुरानी बातों पर लगाए ठहाके

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। दिवाली(Diwali) से पहले सड़क पर भिखारी (Beggar) की अवस्था में मिले पुलिस (Police) के जिस शार्प शूटर अफसर(Sharp shooter officer) को उनके डीएसपी (DSP) मित्रों ने एक आश्रम में इलाज के लिए भर्ती कराया था। दिवाली के मौके पर उनके दूसरे पुलिस अफसर मित्र उनसे खुशियाँ बांटने पहुंचे। इस दौरान दोस्तों के बीच ट्रेनिंग की बातें हुई, ठहाके लगे और दूसरे दोस्तों से वीडियो कॉल पर बातें हुई। दोस्तों ने अपने पुराने साथी के इलाज के लिए पूरी व्यवस्था की है और उम्मीद जताई है कि वो जल्दी ठीक हो जायेंगे।

ग्वालियर के स्वर्ग सदन आश्रम (Swarg sadan aashram) का नजारा इस बार कुछ बदला बदला सा है। यहाँ रहने वाले लोग आमतौर पर शांत और चुप रहते हैं हालांकि त्योहारों पर आश्रम का स्टाफ इनके लिए खुशियाँ देने के भरपूर प्रयास करता है। लेकिन इस बार स्वर्ग सदन आश्रम दोस्तों के ठहाको से गूंज रहा था। वजह थी शार्प शूटर रहे पुलिस के सब इंस्पेक्टर मनीष मिश्रा ( Sub inspecter Manish mishra)। दरअसल मतगणना के दिन 10 नवंबर को एक भिखारी को कचरे के ढेर में खाना ढूंढते दो पुलिस अफसरों डीएसपी रत्नेश तोमर ( DSP Ratnesh tomar) और डीएसपी विजय भदौरिया ( DSP Vijay bhadauriya)ने जब देखा था। उन्होंने उसकी मदद के लिए उसे जूते और जैकेट दी और खाना खाने चलने के लिए कहने लगे। जैसे ही दोनो अफसर पलटे युवक ने दोनों को नाम से आवाज लगाकर बुलाया तो वो चौंक गए। बात करने पर खुलासा हुआ कि वो तो उनके ही बैच का जांबाज सब इंस्पेक्टर मनीष मिश्रा है। हरफनमौला, दोस्तों के बीच मस्त रहने वाले पुराने साथी की हालत देखकर उन्होंने मदद के लिए स्वर्ग सदन संस्था के सदस्यों को बुलाया और उनके आश्रम में मनीष को भर्ती करा दिया।


About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....