किसी दुकान विशेष से यूनीफॉर्म, किताबें व कॉपियाँ खरीदने के लिये बाध्य नहीं कर सकेंगे प्राइवेट स्कूल, परिजन बोले धन्यवाद कलेक्टर साहिबा… 

ग्वालियर जिला दण्डाधिकारी रुचिका चौहान द्वारा जारी आदेश के माध्यम से यह भी स्पष्ट किया गया है कि निजी विद्यालयों के संचालकगण, प्राचार्य व पालक शिक्षक संघ यह सुनिश्चित करेंगे कि पुस्तकों के निजी प्रकाशक, मुद्रक व विक्रेता स्कूल परिसर में अपनी पुस्तकों का प्रचार-प्रसार करने के लिये किसी भी स्थिति में स्कूल में प्रवेश नहीं करें।

Gwalior Collector Ruchika Chauhan

Gwalior News : नया शिक्षण सत्र अगले महीने से शुरू होने वाला है, नियमों के विरुद्ध जाकर बहुत से प्राइवेट स्कूल या तो अपने स्कूल से ही कॉपी किताबें खरीदने के लिए परिजनों को फ़ोर्स करते हैं या फिर उन्हें किसी दुकान विशेष का नाम और फोन नंबर देकर वहां से खरीदने के लिए कहते हैं, लेकिन अब ऐसा करना संभव नहीं होगा। ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने धारा 144 के तहत इसके लिए प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है, इसका उल्लंघन करने वाले पर धारा 188 के तहत कार्रवाई होगी यानि एफआईआर होगी, कलेक्टर के आदेश पर परिजनों ने उन्हें धन्यवाद दिया है।कलेक्टर रुचिका चौहान के आदेश के बाद परिजन खुश हैं और कलेक्टर साहिबा को धन्यवाद से रहे हैं।

परिजन बोले – मनमानी किताबें बच्चे के बस्ते का वजन भी बढाती हैं 

तारागंज क्षेत्र में रहने वाले अमित सक्सेना का बेटा निजी स्कूल में पढ़ता है उनका कहना है कि इस आदेश के बाद स्कूल संचालकों की मनमानी पर रोक लगेगी, अपने हिसाब से सिलेबस में दिल्ली के प्रकाशकों की किताबें स्कूल संचालक जोड़ देते है जो न सिर्फ नियम विरुद्ध है बल्कि बच्चे के बस्ते का वजन भी बढ़ाती हैं।

प्राइवेट जॉब करने वाले पति पत्नी ने कहा , इससे बहुत राहत मिलेगी 

लश्कर में रहने वाले दीपेश और श्वेता प्राइवेट जॉब करते हैं उनके दो बेटे हैं, दोनों प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं। उनका कहना है कि मनमानी फ़ीस के साथ साथ कॉपी किताबों, यूनिफ़ॉर्म के लिए स्कूल संचालक बाध्य करते हैं या तो उनके यहाँ से खरीदो या उनकी बताई दुकान से खरीदों , फिर जो रेट दुकानदार ने फिक्स कर दिए उतने पैसेआपको देना ही है, उनका कहना है कि कलेक्टर साहिबा की सख्ती के बाद परिजनों को बहुत राहत मिलेगी।

गृहणी ने कहा धन्यवाद कलेक्टर साहिबा

बहोड़ापुर क्षेत्र में रहने वाली श्रीमती अनुराधा भी कलेक्टर रुचिका चौहान के फैसले का स्वागत कर रही हैं, उनका कहना है कि इस आदेश के बाद परिजन स्वतंत्र होंगे कि वे खुले बाजार से जहाँ उचित रेट पर कॉपी, किताबें यूनिफ़ॉर्म , स्कूल बैग खरीद सकें। इतनी महंगाई में स्कूल संचालकों की मनमानी बहुत परेशान करती है, इस आदेश का निश्चित है बहुत लाभ होगा, परिजनों को रहत मिलेगी।

ग्वालियर कलेक्टर ने जारी किया प्रतिबंधात्मक आदेश 

ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने आदेश जारी करते हुए कहा कि जिले के प्राइवेट स्कूल विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को किसी दुकान विशेष से यूनीफॉर्म, किताबें व कॉपियाँ या अन्य पाठ्य सामग्री खरीदने के लिये बाध्य नहीं कर सकेंगे। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-144 के तहत स्कूल संचालकों, पुस्तक प्रकाशकों एवं विक्रेताओं के एकाधिकार को समाप्त करने के लिये अहम आदेश जारी किया है। किसी स्कूल द्वारा इस आदेश की अवहेलना किए जाने पर संबंधित विद्यालय के संचालक, प्राचार्य व बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के समस्त सदस्य दोषी माने जायेंगे। आदेश के उल्लंघन पर भारतीय दण्ड विधान की धारा-188 के तहत कार्रवाई की जायेगी।

किताबों की लिस्ट स्कूल वेबसाईट पर अपलोड करना जरूरी 

आदेश में स्पष्ट किया है कि निजी स्कूलों की स्वयं की वेबसाइट होना अनिवार्य है। निजी स्कूलों के प्राचार्य व संचालकों को अपने विद्यालय की वेबसाइट पर परीक्षा परिणाम से पूर्व सभी कक्षाओं के लिये अनिवार्य पुस्तकों की सूची अनिवार्यत: अपलोड करनी होगी। साथ ही विद्यालय के सार्वजनिक सूचना पटल व अन्य स्थानों पर भी यह सूची प्रदर्शित करनी होगी। इसके अलावा बच्चों के अभिभावकों को भी यह सूची उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना होगा। निजी स्कूलों के प्राचार्य व प्रबंधक को अपने स्कूल के प्रत्येक कक्षा के समस्त पाठ्यक्रम से संबंधित पुस्तकों तथा प्रकाशकों आदि की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी के ईमेल एड्रेस deogwa.mp@nic.in पर अनिवार्य रूप से भेजनी होगी।

आदेश में बहुत सख्त निर्देश 

जिला दण्डाधिकारी रुचिका चौहान ने आदेश में उल्लेख किया है कि नियामक बोर्ड मसलन सीबीएससी, आईसीएसई, माध्यमिक शिक्षा मण्डल मध्यप्रदेश इत्यादि द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम के अंतर्गत एनसीआरटी व मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा प्रकाशित व मुद्रित पुस्तकों के अलावा अन्य प्रकाशकों व मुद्रकों की पुस्तकें विद्यालय में अध्यापन के लिये प्रतिबंधित की जाएँ। साथ ही कीमत बढ़ाने के लिये पुस्तकों के सेट में पाठ्यक्रम के अतिरिक्त अन्य पुस्तकें शामिल कर विद्यार्थियों को खरीदने के लिये बाध्य न किया जाए। किसी भी प्रकार की शिक्षण सामग्री पर विद्यालय का नाम अंकित नहीं होना चाहिए। नोटबुक व कॉपी पर ग्रेड का प्रकार, साईज, मूल्य तथा पृष्ठ संख्या स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिए।

यूनिफ़ॉर्म को लेकर भी डीएम ने की सख्ती  

आदेश में उल्लेख है कि कोई भी विद्यालय दो से अधिक यूनीफॉर्म निर्धारित नहीं कर सकेंगे। ब्लैजर व स्वैटर इसके अतिरिक्त होगा। यूनीफॉर्म इस प्रकार से निर्धारित करना होगी कि कम से कम तीन साल तक उसमें बदलाव न हो। वार्षिकोत्सव या अन्य आयोजन के समय अन्य प्रकार की वेशभूषा के कपड़े खरीदने के लिये भी विद्यार्थियों को बाध्य नहीं किया जा सकेगा। जिन विषयों के संबंध में नियामक संस्था द्वारा कोई पुस्तक प्रकाशित नहीं की जाती है तो उस विषय से संबंधित पुस्तक की अनुशंसा से पहले स्कूल संचालक यह सुनिश्चित करेंगे कि पुस्तक की पाठ्य सामग्री आपत्तिजनक नहीं है, जिससे लोक शांति भंग होने की संभावना हो।

इस निर्देश का रखना होगा बहुत ध्यान 

जिला दण्डाधिकारी द्वारा जारी आदेश के माध्यम से यह भी स्पष्ट किया गया है कि निजी विद्यालयों के संचालकगण, प्राचार्य व पालक शिक्षक संघ यह सुनिश्चित करेंगे कि पुस्तकों के निजी प्रकाशक, मुद्रक व विक्रेता स्कूल परिसर में अपनी पुस्तकों का प्रचार-प्रसार करने के लिये किसी भी स्थिति में स्कूल में प्रवेश नहीं करें।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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