रियासतकालीन गोपाल मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव 12 अगस्त को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। महोत्सव की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान श्रीराधाकृष्ण को बेशकीमती गहनों से सजाया जाएगा जिसकी कीमत 50 करोड़ से अधिक बताई जा रही है। श्रृंगार और पूजा अर्चना के बाद दोपहर 12 बजे बाद भगवान के मनोहारी रुप के दर्शन हो सकेंगे, लेकिन कोरोना काल के कारण इस बार एलईडी के माध्यम से दर्शन हो सकेंगे।
निगमायुक्त संदीप माकिन ने जानकारी देते हुए बताया कि विगत कई वर्षों से जन्माष्टमी महोत्सव में फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर में विराजी श्रीकृष्ण एवं श्रीराधा को उनके प्राचीन आभूषणों से सुसज्जित किया जाता रहा है। जन्माष्टमी के अवसर पर पुलिस बल के साथ बैंक लाॅकर से भगवान के आभूषण तथा श्रृंगार सामग्री एवं पात्र निकालकर लाये जायेंगे तथा इनकी सफाई इत्यादि कर भगवान का श्रृंगार किया जायेगा। इस वर्ष कोविड 19 के संक्रमण की संभावना को दृष्टिगत रखते हुए इस वर्ष भक्तगण सीधे दर्शन न करके एलईडी के माध्यम भगवान श्री राधाकृष्ण के मनोहारी स्वरुप के दर्शन कर पाएंगे। दोपहर 12 बजे से भगवान के दर्शनों के लिये एलईडी पर प्रसारण किया जाएगा। रात्रि में 1 बजे के बाद भगवान के उक्त आभूषण पुलिस बल के साथ जिला कोषालय में जमा कराये जायेंगे। उन्होंने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से सम्पूर्ण मंदिर में पुलिस बल तथा क्लाॅज सर्किट कैमरे लगाकर पल-पल की वीडियोग्राफी की जायेगी।
दुर्लभ आभूषणों से होगा श्रीराधाकृष्ण का श्रृंगार
गोपाल मंदिर में 1921 में स्थापिर श्रीराधाकृष्ण के श्रृंगार में नगर निगम द्वारा बैंक लाॅकर में संचित करोड़ों रूपये की कीमत के गहने उपयोग किये जायेंगे, जिसमें सफेद मोती वाला पंचगढ़ी हार लगभग आठ लाख कीमत का, सात लड़ी हार जिसमें 62 असली मोती और 55 पन्ने होंगे सन् 2007 में इनकी अनुमानित कीमत लगभग 20 से 25 लाख रूपये आंकी गई थी। इसके अलावा सोने के तोड़े तथा सोने का मुकुट कृष्ण पहनेंगे जिनकी कीमत भी लगभग 80 लाख रूपये है। गोपाल मंदिर की राधाजी का ऐतिहासिक मुकुट जिसमें पुखराज और माणिक जणित के पंख है तथा बीच में पन्ना लगा है, तीन किलो वजन के इस मुकुट की कीमत आज की दर पर लगभग पांच करोड़ आंकी गई है तथा इसमे लगे 16 ग्राम पन्ने की कीमत लगभग 25 लाख आंकी गई है। राधाकृष्ण के नखशिख श्रृंगार के लिये लगभग 25 लाख रूपये के जेबर उपलब्ध हैं जिनमें श्रीजी तथा राधा के झुमके, सोने की नथ, कण्ठी, चूड़ियां, कड़े इत्यादि से भगवान को सजाया जायेगा। भगवान को पहनाये जाने वाले आभूषणों की कीमत आज के बाजार के हिसाब से 50 करोड़ से अधिक बताई जा रही है। श्रृंगार के अलावा भगवान के भोजन इत्यादि के लिये भी प्राचीन बर्तनों की सफाई कर इस दिन भगवान का भोग लगाया जावेगा। लगभग 80 लाख रूपये कीमत के चांदी के विभिन्न बर्तनों से भगवान की भोग आराधना होगी। इनमें भगवान की समई, इत्र दान, पिचकारी, धूपदान, चलनी, सांकड़ी, छत्र, मुकुट, गिलास, कटोरी, कुंभकरिणी, निरंजनी आदि सामग्रियों का भी प्रदर्शन किया जाएगा।