Satpura Bhawan Fire : ऊर्जा मंत्री का कांग्रेस पर पलटवार, बोले- “आपके भ्रष्टाचार की फाइलें भी तो जली होंगी”

Atul Saxena
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Satpura Bhawan Fire : मप्र सरकार के प्रमुख प्रशासनिक केंद्र वल्लभ भवन के महत्वपूर्व अंग “सतपुड़ा भवन” में लगी आग भले ही अब ठंडी हो गई है लेकिन इससे भड़की सियासी चिंगारी की लपटें अभी भी तेज हैं, पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह सहित कांग्रेस के कई नेता शिवराज सरकार पर आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस आरोप लगा रही है कि सरकार ने भ्रष्टाचार छिपाने के लिए आग लगाई है, अब इस पर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने पलटवार किया है।

सरकार ने दिया भरोसा  फाइलों का डाटा रिकवर कर लेंगे 

सतपुड़ा भवन में आग से हुए नुकसान का आकलन सरकार कर रही है, करीब 12000 फाइलें और कई महत्वपूर्व दस्तावेज जलकर खाक होने का अंदेशा जताया जा रहा है, ये आंकड़ा बढ़ भी सकता है। उधर ये भी निकलकर सामने आया है कि इस आग में वो फाइलें भी जलीं हैं जिनके प्रकरण EOW या फिर अन्य जांच एजेंसियों में चल रहे हैं, लेकिन सरकार ने कहा है कि डाटा सुरक्षित है, फाइलों को एक्सपर्ट की मदद से रिकवर कर लिया जायेगा, जहाँ जाँच चल रही हैं उन एजेंसियों से भी दस्तावेज कलेक्ट किये जायेंगे।

कांग्रेस का आरोप – भ्रष्टाचार दबाने के चलते लगाई आग

हालाँकि सरकार के इस भरोसे से पहले ही कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर भ्रष्टाचार दबाने के लिए फाइलों को आग के हवाले करने के आरोप लगा दिए। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह सहित पूरी कांग्रेस शिवराज सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही है कि इस आग के पीछे एक साजिश है।

ऊर्जा मंत्री कांग्रेस से बोले – आपके भ्रष्टाचार की फाइलें भी तो जली होंगी  

मप्र के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर से जब मीडिया ने कांग्रेस के आरोपों पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस आधारहीन बातें कर रही है, यदि उसके पास को सबूत है तो दे, बिना सबूत के आरोप लगाने का क्या मतलब ? ऊर्जा मंत्री ने कहा कि यदि भ्रष्टाचार की फाइलें जली होंगी तो उसमें वे 15 महीने की कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार की भी फाइलें होंगी, फिर तो वो भी जल गई होंगी , उन्होंने कहा कि ये दुर्घटना है इसकी जाँच होने दीजिये तब कुछ बोलिए।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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