डबरा। कपिल शर्मा।
बैरसिया तहसील के मनीखेड़ी गांव में स्टे के बावजूद जमीन की रजिस्ट्री कराने पर उपपंजीयक प्रशांत साहू को कोर्ट ने तीन महीने की सजा सुनाई है। खरीदने और बेचने वाले को भी सजा हुई है। प्रकरण के मुताबिक गांव के हरीश सिंह के चार बच्चे हैं। इनमें तीन बेटियां और एक बेटा है। हरीश की मौत के बाद जमीन का बेटे के नाम पर नामांतरण हो गया। इस पर तीनों बेटियां कोर्ट चली गई। इस बीच बेटे की भी मौत हो गई। जमीन बेटे की पत्नि नीतू बाई के नाम पर हो गई, नीतू बाई जमीन को बेचना चाह रही थी इस पर बेटियों की याचिका पर कोर्ट ने 10 फरवरी 2013 को रोक लगा दी थी।
कोर्ट के स्टे के बाबजूद जमीन की रजिस्ट्री करना एक उप पंजीयक प्रशांत साहू को महंगा पड़ गया, जिसमें अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने उसे तीन माह की सजा सुनाई है। मामला बर्तमान में डबरा में पदस्थ उपपंजीयक प्रशांत साहू का है जिसने 2013 में भोपाल के बैरसिया में पदस्थापना के समय कोर्ट के जमीन पर स्टे होने के बाबजूद पंजीयन करना सम्पादित किया, जिसमें पीड़ित पक्ष के द्वारा सिविल न्यायालय में परिवाद दायर किया गया, जिसमे तत्कालीन उपपंजीयक प्रशांत साहू को दोषी मानकर तीन माह की सजा दी गयी जिसके खिलाफ उप पंजीयक ने एडीजे कोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील की वहां भी न्यायालय ने तीन माह की सजा को बरकरार रखा एवम दिनांक 18/12/2018 को उप पंजीयक प्रशांत साहू को तीन माह की सजा सुनाई
यहां सबसे बड़ी बात यह देखने में आई की सजा के बाद भी लगभग 25 दिनों तक दोषी उपपंजीयक बराबर पंजीयन कार्यालय डबरा में कार्य करता रहा और मामले की जानकारी किसी भी सक्षम अधिकारी को नहीं है , और जब मीडिया के द्वारा यह मामला सक्षम अधिकारी को अवगत कराया गया तो कहीं न कहीं अधिकारी बयान देने से बचते नजर आए और पूरे मामले की जानकारी से अनभिज्ञता जाहिर की यदि इन दिनों में दोषी उपपंजीयक के द्वारा कोई विवादित रजिस्ट्री को सम्पादित किया हो तो आखिर परेशानी किसको ?