ग्वालियर। जिले की स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे चल रही हैं । एक केंद्रीय मंत्री औऱ प्रदेश सरकार के तीन कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद स्वास्थ्य सेवाएं सुधर नहीं रहीं हैं जिसका खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं। ऐसा ही एक मामला बहोड़ापुर की एक मरीज का सामने आया जिसमें जब चिकित्सक उसके घर ये बताने पहुंचे कि उसकी स्वाईन फ्लू रिपोर्ट पॉजिटिव है और सावधानी बरतने की नसीहत देने लगे तब परिजनों ने बताया कि जिस मरीज की आप बात कर रहे हैं उसकी तो मौत हो चुकी है । इतना सुनकर चिकित्सक और कर्मचारी मुंह नीचा कर लौट आए। यहां बता दें कि जिले में अब तक स्वाईऩ फ्लू से नौ मौत हो चुकीं हैं।
बहोड़ापुर में रहने वाली एक 25 वर्षीय महिला को लंबे समय से खांसी थी, वो पहले आसपास के चिकित्सकों से इलाज कराती रही लेकिन जब खांसी नहीं गई तो वो 25 मार्च को बिरला अस्पताल पहुंची, चिकित्सकों ने चैकअप के बाद महिला को भर्ती कर वेंटिलेटर पर ले लिया । महिला का व्लड सेंपल स्वाईन फ्लू की जांच के लिए 29 मार्च को लिया गया और जांच के लिए डीआरडीई भेज दिया गया । रिपोर्ट नहीं आने के कारण चिकित्सक लक्षणों के आधार पर इलाज करते रहे और 2 अप्रैल को जब पॉजिटिव रिपोर्ट आई और चिकित्सक महिला के घर सावधानी बरतने और समझाइश देने पहुंचे तो परिजनों ने बताया कि 31 मार्च को महिला ने दम तोड़ दिया, अब ये सब बताकर क्या करोगे । ग्वालियर जिले में ये पहली बार नहीं हुआ है कि मरीज की मौत के बाद उसकी पॉजिटिव रिपोर्ट घर पहुंची हो। इससे पहले 9 मार्च को भी एक महिला की मौत हो गई थी और उसकी पॉजिटिव रिपोर्ट 12 मार्च को आई थी। अब तक कुल 9 लोग जिले में स्वाईन फ्लू का शिकार हो चुके है। जिनमें 6 महिलाएं और तीन पुरुष शामिल हैं।
केवल दो दिन ही होती है डीआरडीई में जांच
स्वास्थ्य विभाग स्वाईन फ्लू की जांच के लिए डीआरडीई पर ही पूरी तरह निर्भर है क्यों कि ग्वालियर में वायरलॉजी लैब नहीं है, जबकि डीआरडीई में केवल मंगलवार और शुक्रवार को हीं जांच होती है भले ही सेंपल कभी भी पहुंचे। यानि मरीज के गंभीर होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता । ऐसे में रिपोर्ट आने में देरी होती है और उचित इलाज के अभाव में मरीज की मौत हो जाती है।
लचर मॉनीटरिंग भी मौत का एक बड़ा कारण
स्वाईन फ्लू के मरीजों के इलाज के लिए जिले के तीन अस्पतालों में कोल्ड ओपीडी की व्यवस्था है लेकिन महामारी विशेषज्ञ डॉ. महेंद्र पिपरोलिया नियमित रूप से इनकी मॉनीटरिंग भी नहीं करते । सूत्रों की माने तो सेंपल भेजने के बाद विशषज्ञ गंभीर मरीज की सुध नहीं लेते, जब रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो सर्वे टीम मरीज के घर जाती है और केवल एक दिन समझाइश देने की फॉर्मेलिटी कर वापस लौट आती है।
स्वाईन फ्लू के वायरस में बदलाव की आशंका
विशेषज्ञों के अनुसार जब तापमान 12 डिग्री सेल्सियस से कम होता तभी स्वाईन फ्लू का वायरस एक्टिव रहता है लेकिन इस समय ग्वालियर का तापमान 40 डिग्री तक पहुंच गया है और बहुत तेज गर्मी पड़ रही है बावजूद इसके मरीजों के मिलने का सिलसिला जारी है । विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि स्वाईन फ्लू के वायरस में बदलाव हो रहा है।