पति नहीं प्रधान पत्नी ही करेगी सब काम, पंचायतों की बैठक में सरपंच पति के भाग लेने पर लगा प्रतिबंध, आदेश जारी

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। पंचायतों में महिलाओं की भूमिका को सशक्त बनाने के लिए चुनाव के माध्यम से उन्हें जनता के बीच जाने का मौका संवैधानिक स्तर पर मिलता है लेकिन देखने में ये आता है कि महिलाओं के चुने जाने के बाद भी उनके पति उनकी जगह बैठकों और कार्यक्रमों में शामिल होते हैं।  लेकिन वे अब ऐसा नहीं कर सकेंगे। ग्वालियर कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी कौशलेन्द्र विक्रम सिंह (Gwalior Collector and DM Kaushalendra Vikram Singh) ने इस पर प्रतिबंध लगाते हुए इस आशय का आदेश जारी किया है।

पंचायत चुनावों में सरपंच अथवा पंच चुनकर आई महिलाएं संवैधानिक स्तर पर तो पद पर बैठी हैं लेकिन देखने में ये आ रहा है कि उनकी जगह उनके पति पंचायतों की बैठकों में शामिल हो रहे हैं, ग्राम सभाएं ले रहे हैं, अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं,  जो पूरी तरह से गैर संवैधानिक है। इतना ही नहीं ये गैर सामाजिक भी है।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....