कृषि उपज मंडी में व्यापारी कर रहे मनमानी, अन्नदाता परेशान, मौन बैठा प्रशासन

Amit Sengar
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Dabra News : डबरा कृषि उपज मंडी मध्यप्रदेश की दूसरी बड़ी फसल मंडियों में से एक मानी जाती है जिसमें दूर दराज के क्षेत्रों से अपनी फसल बेचने के लिए आने वाला अन्नदाता किसान प्रशासन की अनदेखी और व्यपारियों की मनमानियों का शिकार हो रहा है फसल बेचने आया किसान कच्ची आढ़त का शिकार हो रहा है। क्योंकि मंडी में नियम पूर्वक फसल की खरीदी नहीं की जाती है। वहीं सैंपल और दलालों की मदद से व्यापारी फसल खरीद रहे हैं जिसमें किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। साथ ही मंडी में किसानों को कई घंटों तक जाम में फंसा रहना पड़ता है और वहीं मंडी में बने कैंटीन पर भी बिना टोकन के किसानों को बाजार के दामों में ही खाना और नास्ता दिया जाता है।

यह है पूरा मामला

ऐसी कई गंभीर अव्यवस्थाएं और परेशानियों से मंडी में आने वाला किसान परेशान है। वहीं गौर करें तो मंडी प्रशासन कभी भी मंडी में मॉनिटरिंग नहीं करती हैं जिससे व्यापारी मनमानी कर किसानों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं और मंडी में जहां 700 फर्मों के लाइसेंस स्वीकृत है। लेकिन मंडी में इन फर्मों पर कई ऐेसे व्यापारी भी है जो कि बाहर से आकर बग़ैर रजिस्ट्रेशन के फसल खरीदी कर रहे हैं। वहीं बता दें कि कृषि उपज मंडी में मीडिया के पहुंचने पर मंडी सचिव को सूचित किया तब मंडी सचिव अनिल शर्मा ने एक ही कांटे का निरीक्षण कर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति की, वहीं अब देखना यह होगा कि किसानों की समस्या को लेकर प्रशासन कितनी कार्रवाई करेगा या फिर हमेशा की तरह ही खानापूर्ति होगी।

वहीं किसानों ने भी मंडी में उनके साथ हो रही इस लूट को लेकर खुलासा करते हुए बताया कि वह दूर दराज से अपनी फैसले लेकर मंडी में आते हैं और मंडी में व्यापारी और आढ़तिया उनके साथ मनमानी तरीके से कच्ची पर्ची बनाकर फसल खरीदते हैं जिसमें ट्रॉली में फसल का कुछ भाव लगता है और कांटे पर जाकर लगभग उनसे 200 से 300 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से कम कर लिए जाते हैं जिस पर उन्हें हजारों का नुकसान झेलना पड़ता है साथ ही किसानों ने मंडी प्रशासन पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मंडी के अधिकारी भी व्यापारियों के मेल-जोल में रहते हैं और वह इनपर कोई कार्रवाई नहीं करते जबकि उन्हें सब कुछ पता होता है।
डबरा से अरुण रजक की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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