ग्वालियर पहुंचे केंद्रीय वन मंत्री ने “चीतों” और “चंबल अंचल” को लेकर कही बड़ी बात

Amit Sengar
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से बसाने के लिए भारत सरकार ने मध्य प्रदेश के कूनो पालपुर अभ्यारण को चुना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के जन्मदिन पर 17 सितंबर को चीते आ रहे हैं इस विशेष मौके पर प्रधानमंत्री भी मौजूद रहने वाले हैं। तैयारियों का जायजा लेने केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव आज गतिमान एक्सप्रेस से ग्वालियर (Gwalior) पहुंचे।

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केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उनकी अगवानी की। उधर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राजमाता विजयाराजे सिंधिया एयरपोर्ट पर पहुंची जहाँ उनका स्वागत दोनों केंद्रीय मंत्रियों, भाजपा नेताओं और स्थानीय प्रशासन ने किया। प्रधानमंत्री के आगमन और चीतों के पहुँचने से पूर्व तैयारियों का जायजा लेने तीनों नेता हेलीकॉप्टर से कूनो पालपुर अभ्यारण ले लिए रवाना हो गए।

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ग्वालियर पहुंचे केंद्रीय वन मंत्री ने "चीतों" और "चंबल अंचल" को लेकर कही बड़ी बात

ग्वालियर में मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पर्यावरण के जागरुकता को लेकर आभार जताया। उन्होंने कहा कि बड़े वन्य जीवों में भारत में चीता विलुप्त हो रहा था। इसकी बसाहट के प्रयास किये जा रहे थे और मध्य प्रदेश के कूनो में इनके लिए विशेष प्रबंध किये गए है ये अच्छी बात है।

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उन्होंने कहा कि भारत का पर्यावरण और प्रकृति के साथ मिलकर रहने का एक अच्छा वातावरण है। बड़ी बात ये है कि 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के जन्मदिन पर नामीबिया से आ रहे हैं और वे इस विशेष अवसर पर मौजूद भी रहेंगे। उन्होंने कहा कि शुरू में नामीबिया से 8 चीते आएंगे और इसके बाद कुल मिलाकर नामीबिया और साउथ अफ्रीका से 25 चीते आएंगे। चंबल अंचल में चीतों का आगमन और प्रधानमंत्री का जन्मदिन एक साथ होने पर इतिहास रचे जाने के सवाल पर केंद्रीय वन मंत्री ने कहा कि चंबल तो सदा से सबको शरण देने वाला रहा हैं यहां सबको शरण मिलती है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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