ग्वालियर । चुनाव भले ही बहुत से लोगों के लिए ख़ुशी के पल लेकर आता हो लेकिन इस बार ये चुनाव के लिए तकलीफ और दर्द का अहसास लेकर आये हैं। वजह है शहर में चल रहे विकास कार्यों का रुक जाना। इसमें प्रमुख रूप से शामिल है सड़कों का निर्माण। जो आचार संहिता लगने के कारण रुक गया है। जिसके चलते डामरीकरण के लिए रखा 50 करोड़ रुपया नगर निगम के खजाने से बाहर नहीं आ पाएगा। और लगातार चुनावों के चलते पूरा साल शहर की जनता को गड्ढों से लगने वाले झटके खाने होंगे।
विधानसभा चुनावों के बाद शहर की सड़कों की बदहाली की चिंता करने वाली ग्वालियर नगर निगम ने इसके लिए 50 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की। तय हुआ कि इस राशि से डामर की नई सड़कों के निर्माण के साथ साथ सड़कों के गड्ढों को भी भरा जाएगा जिससे गड्ढों के झटकों से मिलने वाले दर्द से लोगों को निजात दिलाई जा सके। लेकिन इस तैयारी में बहुत समय निकल गया और लोकसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ गई। घोषणा होते ही आचार संहिता लग गई और काम शुरू होने से पहले ही रुक गया। लोकसभा चुनावों की मतगणना 23 मई को होगी और परिणामों के बाद नई सरकार का गठन हो जायेगा और आचार संहिता हट जाएगी। जुलाई से अक्टूबर तक चार महीने मानसून के होंगे जिसमें सड़क निर्माण सहित दूसरे निर्माण कार्यों पर प्रतिबन्ध रहेगा। मानसून सीजन समाप्त होते ही नगर निगम चुनावों आ जायेगा। दिसंबर में होने वाले नगर निगम चुनावों के लिए नवम्बर आचार संहिता लग जाएगी। यानि ये पूरा साल चुनावों की भेंट चढ़ जायेगा। सड़क निर्माण के लिए केवल जून का महीना ही मिलेगा जो टेंडर प्रक्रिया में ही बीत जायेगा , यानि ये पूरा साल चुनाव की भेंट चढ़ जायेगा और अब शहर के लोगों को गड्ढों से निजात 2020 में ही मिल पायेगी।
पिछले साल खर्च किये 35 करोड़, इस साल 50 करोड़ का प्रावधान
ग्वालियर नगर निगम प्रशासन ने वित्तीय वर्ष 2018 – 19 में शहर की सड़कों को संवारने के लिए 35 करोड़ रुपये खर्च किये थे और वित्तीय वर्ष 2019 -20 के लिए 50 करोड़ का प्रावधान किया है। चूँकि इस साल नगर निगम चुनाव हैं इसलिए हर पार्षद अपने वार्ड की सड़कें बनवाने का प्रयास कर रहा है। कुछ पार्षद इसमें सफल हो गए हैं, लेकिन आचार संहिता के चलते बहुत से पार्षद सड़कों का इन्तजार कर रहे हैं।
अधिकारियों की लापरवाही और मनमानी
शहर में इस समय 772 करोड़ की अमृत योजना के तहत सीवर और पानी की लाइनें बिछाये जाने का काम चल रहा है। पिछले डेढ़ साल से ये काम जारी है , लेकिन पूरा कब होगा ये निश्चित नहीं है। ठेकेदारों ने मुख्य सड़कों के अलावा कॉलोनियों और गली मोहल्लों तक की सड़कें खोद डालीं। निगम अधिकारियों का तर्क है कि खुदाई पूरी हो जाने के बाद ही सड़कों निर्माण होगा। जिसके कारण सड़कों में बने गड्ढे हादसों की वजह बन रहे हैं और शहरवासियों को दर्द दे रहे हैं। परिषद में पार्षदों के शोरशराबे के बाद नगर निगम ने पेंच वर्क करवाया जो पिछली बारिश में उखड़ गया। यहाँ खास बात ये है कि शहर के जिस क्षेत्र में लाइनें नहीं बिछाई जा रहीं वहां भी सड़कों निर्माण नहीं किया जा रहा।