बैतूल में दिखा पति पत्नी का हाई वोल्टेज ड्रामा, बीच सड़क पर पत्नी ने की पति की धुनाई

बैतूल, वाजिद खान। जिला मुख्यालय पर पति पत्नी का हाइवोल्टेज ड्रामा देखने को मिला, जहाँ पति की हरकतों से परेशान पत्नी ने उसे सबक सिखाया। सबक सिखाने के लिए पत्नी ने दूसरी युवती बनकर पति को मिलने बुलाया और जब पति मिलने पहुँचा तो अपनी पत्नी और उसकी बड़ी बहन और उसकी सहेलियों के देख भागने लगा। जिसके बाद महिलाओं ने झूमाझटकी कर पति की जमकर पिटाई कर दी।

मामला बैतुल का जहां दूसरी महिलाओं के चक्कर में फंसे पति को जब पत्नी ने रंगे हाथों पकड़ा तो उसने अपनी बहन और सहेलियों के साथ उसकी अच्छे से खातिरदारी की। लेकिन पुलिस ने उल्टा पत्नी और उनकी बहनों के साथ ही गाली गलौच शुरू कर दी। तस्वीरों  में साफ देखा जा सकता है कि पुलिस का आरक्षक किस तरह महिलाओं को बेइज्जत कर रहा है । हद तो तब हो गयी जब कोतवाली में पदस्थ जांच अधिकारी ने महिलाओं को ही दोषी ठहराते हुए जबरदस्ती के आरोप लगाने का बात कह दी।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।