पैसों के लिए उतारा दोस्त को मौत के घाट, पुलिस ने सुलझाई विष्णु हत्याकांड की गुत्थी

होशंगाबाद/इटारसी, राहुल अग्रवाल। पथरौटा पुलिस ने ग्राम आमकछार के कुएं में मिले अज्ञात शव की गुत्थी 48 घंटे में सुलझा ली है। मृतक की पहचान विष्णु गिरी के रूप में हुई है उसके मुंह बोले भतीजे व एक अन्य युवक ने पैसे की लालच में मौत के घाट उतार दिया था। विष्णु गिरी 11 सितम्बर की रात से घर से लापता था, उसके परिजनों ने 12 सितम्बर को पथरौटा थाने मर गुमशुदगी दर्ज कराई थी। पुलिस को गुमशुदगी दर्ज होने के बाद मृतक के परिजनों को बुलाकर उसके कपड़े पेर में डाल कला धागा ताबीज और हाथ मे बंधी रखी का धागा पहचान कराई थी। मृतक की मां इमरती बाई और उसके परिजनों द्वारा मृतक की पहचान हो जाने के बाद उसके बैंक आकाउंट की जाँच की गई तो पता लगा कि उसके ATM से 11 सितम्बर की रात 10:30 से 11:30 के बीच 10,000 हज़ार रुपये चार बार और एक बार 3000 रुपए निकले गए थे ।

विवेचना के दौरान यह भी जानकारी प्राप्त हुई कि जिस दिन मृतक गुम हुआ था उसके बाद ग्राम कुबड़ा खेड़ी निवासी राहुल उर्फ मुठा धूर्बे ने थाने आकर जानकारी दी उसके चाचा विष्णु गिरी को ATMचलना नही आता है, अतः उसके चाचा के कहने पर उसने पैसे निकाल कर दिए है। उसने यह भी बताया कि जिस बक्त उसने चाचा को पैसे निकाल कर दिए तब उसके चाचा के साथ एक महिला और 2 पुरुष थे। पुलिस ने उसके बयान दर्ज कर उसे रुक्सत कर दिया लेकिन जब विष्णु का शव मिला ओर उसके बाद राहुल ने मृतक के घर जाकर और पुलिस की कार्रवाई में बार बार ध्यान देने का प्रयास किया, तब पुलिस को संदेह हुआ। पुलिस ने राहुल पर नजर रखना शुरू की और फिर संदेह पक्का होने और उससे सख्ती से पूछताछ की तो उसने सारी कहानी वया कर दी।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।