तीन दिवसीय पैनल लॉयर ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत, दी गई जरूरी जानकारी

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद/इटारसी,राहुल अग्रवाल।जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पैनल अधिवक्ताओं के ऑनलाईन प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। कार्यक्रम का शुभारंभ जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण चंद्रेश कुमार खरे द्वारा किया गया। इस प्रशिक्षण में जिला होशंगाबाद तथा तहसील इटारसी, सोहागपुर, पिपरिया, पचमढ़ी, सिवनी मालवा के पैनल अधिवक्ताओं द्वारा भी प्रशिक्षण प्राप्त किया।

उल्लेखनीय है कि, यह प्रशिक्षण सत्र तीन दिवस चलेगा, जिसमें महत्वपूर्ण विषयों पर न्यायाधीशगण अधिवक्तागण को जानकारी प्रदान करेंगें। जिला न्यायाधीश चंद्रेश कुमार खरे ने अपने उद्बोधन में बताया है कि किसी भी अभियुक्त को तब तक अपराधी नहीं माना जा सकता, जब तक उसके विरूद्ध लगाये गये आरोप प्रमाणित ना हो जाए, तथा साक्ष्य प्रक्रिया को अभियुक्त के पक्ष को व्यक्तिगत रखते हुए संचालित करना ही पैनल अधिवक्ता का प्रमुख कर्तव्य है।

आज के प्रशिक्षण सत्र में विशेष न्यायाधीश जेपी सिंह द्वारा अत्याचार निवारण अधिनियम, एनडीपीएस और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण अधिनियम की तथा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हिमांशु कौशल द्वारा अभियोग पत्र की जांच एवं आरोप बिंदुओं पर तर्क तथा नीना खरे, प्रशिक्षण मध्यस्थ द्वारा विरोधाभास प्रबंधन विषय पर पेनल अधिवक्तागण को प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

हिंदी दिवस पर ऑनलाईन संगोष्ठी का आयोजित

  • जिला विधिक सेवा प्राधिकरण होशंगाबाद द्वारा हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में अधिवक्ताओं के साथ ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित की गई तथा हिंदी भाषा की महत्ता एवं उसके विधिक प्रावधानों एवं इतिहास तथा प्रमुख साहित्यकारों के विषय में विस्तार से अपने विचार रखे।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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